अंचलाधिकारी ने कहा की लुप्त हो रहे वनोत्पाद व जंगल को बचाना होगा क्योकि जंगल है तो मनुष्य जीवित है । आज पुरे भारत में ग्लोबल वर्मिंग जैसी समस्या उतपन्न हो रही है । इसे हम सब को रोकना होगा । डुमरचीर पंचायत के मुखिया ने कहा की पुराने ज़माने में समुदाय की अजिविका पूरी तरह से जंगल पर निर्भर था । पहले के लोग जंगल से सालों भर पोषण एवं पौष्टिक आहार लेते थे । जिससे कुपोषण जैसी समस्या नहीं होती थी लोग लम्बी आयु प्राप्त करते थे । संस्था के सचिव ने कहा की जन जातीय समुदाय बिना खेती के पैदा हुए वनोउत्पादों पर निर्भर कंद ,मशरूम और जंगल में पैदा होने वाली हरी पत्तेदार सब्जियां,फल,फूल,और बीज आदि है । यही भोजन जन जातीय समुदाय के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा रहा है और इसलिए इन्हें पकाने के विविध तरीके अपनाये जातें है । ऐसें जंगल के खाध पदार्थों की कमी देखने को मिल रही है । इसका कारण परंपरागत विविधतापूर्ण खेती से निकलकर एकरूपता वाली आधुनिक खेती को अपनाना और राशन के गेहूं-चावल पर ज्यादा निर्भर रहना,वन अधारित आजिविका का कमजोर होना,वृक्षों की कटाई और जंगल में विविधता का कम होना प्रमुख कारण है ।
इस कार्यक्रम में पतरापाड़ा,पकलो,बड़ाबास्को संथाली,बास्को पहाड़, निपनिया, सजनीपाड़ा, बड़ाशालघाटी, डुमरचीरपहाड़, पकुडीह, मामामोड़, नूनपाड़ा,गोगाजोर,मालीपाड़ा, जामकुन्दर आदि गाँव के लोगों द्वारा वनों उपज का कुल 20 स्टॉल लगाएं गए थे । जिसमे वन उपज,कंद, फल-फूल,जड़ी-बुटी, जंगली सब्जी,पत्तेदार साग आदि स्टॉल पर लगाएं गए थे ।
स्टॉल लगाने वालों को प्रथम,दृतीय,तृतीय एवं सांतवना पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया । इस मौके पर झारखण्ड विकास परिसद के मनोरंजन सिंह,मनीषा नदी,अजय मुर्मू,फूलमुनी सोरेन,सजोनी,मिनी सोरेन,मनोज ठाकुर,कैलाश कुमार,थोमस टुडु आदि मौजूद थे ।
- रणजीत कुमार , ग्राम समाचार, अमड़ापाड़ा(पाकुड़)।
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