Bhagalpur news : अवशेषों का अध्ययन करने गुवारीडीह पहुंचे पुरातत्वविदों और इतिहासकारों की टीम, मुआयने के क्रम में मिला एक विशालकाय घड़े का अवशेष

ग्राम समाचार,नवगछिया(भागलपुर)। बिहपुर के जयरामपुर गांव स्थित गुवारीडीह पर मिले पुरातात्विक अवशेषों का जायजा लेने इतिहासकारों और पुरातत्वविदों की एक टीम पहुंची। टीम का नेतृत्व नवगछिया के जीबी कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर डाक्टर शिवशंकर मंडल कर रहे थे।

टीम में जीबी कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागध्यक्ष प्रो डाक्टर अशोक कुमार सिंहा, एनसियेंट हिस्ट्री के प्राध्यापक रंजीत कुमार राय आदि शामिल थे। सर्वप्रथम टीम के सदस्यों ने ग्रामीण अविनाश कुमार चौधरी और अंकित कुमार के नेतृत्व में सहेजे गये अवशेषों का सूक्ष्मता पूर्वक अध्ययन किया और सभी अवशेषों की फोटोग्राफी भी किया। फिर टीम गुवारीडीह पहुंची और स्थल पर पुराताव्तिक अवशेषों की खोजबीन की।
टीम के सदस्यों ने खोजबीन के क्रम में कई वस्तुओं को सहेजा जिसमें मिट्टी से बने सुंदर कलाकृति वाला हाथी और एक विशालकाय घड़े का अवशेष मिला। टीम ने कहा कि वे लोग जो भी अध्ययन कर रहे हैं उसकी एक अधिकृत रिर्पोट तैयार कर सरकार और संबंधित विभाग को भेजेंगे।

मौके पर इतिहासकार प्रो डाक्टर अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि मिले अवशेषों में सबसे प्रमुख पंचमार्क और मुहर और मिट्टी के कुछ सामान हैं जिसे देख कर कहा जा सकता है कि इस तरह की वस्तुएं मौर्यकालीन, कुशानकाली और प्राकमध्यकालीन है। लेकिन बिना कार्बन 40 किये सटीक अंदाजा लगाना जल्दबाजी होगी। हालांकि कुछ ऐसी भी वस्तुएं मिली हैं जो हाल फिलहाल यानी एक हाजार वर्ष से ज्यादा पुरानी नहीं है। लेकिन इतना कहा जा सकता है कि उक्त स्थल पर एक मिली जुली सभ्यता हजारों वर्षों से विकसित थी जो आज जमींदोज है। उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने प्रयास शुरू कर दिया है। जल्द ही प्रमाणिक जानकारी को इकट्ठा कर लोगों के सामने लाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि कुछ वस्तुएं सीधे बौद्ध मठों के साथ जुड़ी हैं जिसमें कलशनुमा आकृति वाला मिट्टी का बर्तन है। एंसियेंट हिस्ट्री के जानकार रंजीत कुमार राय ने कहा कि मिले सिक्के आहत सिक्के, पंचमार्क हैं। मौर्यकाल और कुषानकाल में इस तरह के सिक्के और मुहर प्रचलित थे। इसका सटीक प्रमाण दिया जा सकता है। दूसरी तरफ जमीन की सतह से 25 फीट नीचे कुछ ऐसी वस्तुएं मिली हैं जिससे प्रमाणित होता है कि यहां मिस्क कल्चर विकसित रही होगी।

प्रो डा विभांशु मंडल ने कहा कि पुरातात्विक वस्तुओं का मिलना नवगछिया के लिए बड़ी उपलब्धि है। वे जल्द ही सरकार का ध्यान गुवारीडीह की ओर आकृष्ट करेंगे। टीम के साथ अविनाश कुमार चौधरी, अंकित कुमार, पैक्स अध्यक्ष विभास कुमार, सुधांशु कुमार, आलोक कुमार, राजकुमार चौधरी, फंटुश सिंह, विकास सिंह आदि अन्य भी मौजूद रहे। जयरामपुर के ग्रामीणों का कहना है कि एक समय में गुवारीडीह 15 से 17 एकड़ में फैला था। निरंतर कोसी कटाव में कट जाने के कारण गुवारीडीह अब दो से तीन एकड़ तक सिमट गया है। आये दिन गुवारीडीह पूरी तरह से कोसी में पूरी तरह से विलीन हो जायेगा। इस तरह की संभावना है। जो भी अवशेष मिल रहे हैं गुवारीडीह जो मिट्टी के एक टीले के समान है वहीं पर मिल रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि हजारों वर्ष पहले गुवारीडीह एक व्यवसायिक केंद्र के रूप में विकसित रहा होगा। इतिहासकारों भी इस तरह का ही अनुमान लगा रहे हैं। दूसरी तरफ गांव में एक किदवंदी या कहावत है कि किसी को कहीं जाना होता है कि उसे पहले गुवारीडीह जाना होगा। दूसरी तरफ अगर भौगोलिक दृष्टिकोण से देखा जाय तो पता चलता है कि गुवारीडीह से महज दो किलोमीटर पर त्रिमुहान घाट है जहां से महज सौ वर्ष पहले विभिन्न दिशाओं के लिए जहाज या फिर बड़े नाव खुला करते थे। अनुमान है कि त्रिमुहान से पहले गुवारीडीह इलाके का एक बड़ा व्यवसायिक केंद्र होगा, जहां हजारों वर्षों से एक मिली जुली सभ्यता विकसित रही होगी।
-बिजय शंकर,ग्राम समाचार(भागलपुर)।
Share on Google Plus

Editor - विलियम मरांड़ी। 9905461511

ग्राम समाचार से आप सीधे जुड़ सकते हैं-
Whatsaap Number -8800256688
E-mail - gramsamachar@gmail.com

* ग्राम समाचार से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें

* ग्राम समाचार के "खबर से असर तक" के राष्ट्र निर्माण अभियान में सहयोग करें। ग्राम समाचार एक गैर-लाभकारी संगठन है, हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें।
- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें