ग्राम समाचार गोड्डा:- आजसु के केन्द्रीय सचिव संजीव कुमार महतो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि झारखंड सरकार का बाहर फंसे मजदूर (1000) व उसके परिवार को (1000) मिलाकर 2000 रु करके दिये जाने की घोषणा हवा-हवाई से ज्यादा कुछ नहीं।
माननीय विधायकों को चाहिए कि राज्य सरकार को अपने स्तर से ही सुची बनाने का आग्रह करें अन्यथा इस राशि के लिए अनुशंसा कर विधानसभा की अधिकतम जनता के बीच अपनी छवि बिगाड़ने से ज्यादा कुछ नहीं कर सकेंगे।
झारखंड सरकार द्वारा प्रति विधानसभा 25 लाख उपलब्ध कराकर बाहर फंसे मजदूर को 1हजार और उसके परिवार को 1हजार देने के घोषणा जनता के साथ विधायकों को भी उल्लू बनाने से ज्यादा कुछ नहीं।
अगर सरकार के पास रुपए की कमी थी तो बाहर फंसे सभी मजदूरों को सहायता की झुठी घोषणा कर वाहवाही लूटने की भी कौशिश नहीं करनी चाहिए।
उपरोक्त कथन आजसू के केंद्रीय सचिव संजीव कुमार महतो ने प्रेस विज्ञप्ति द्वारा बताया और उपरोक्त तथ्यों के समर्थन में झारखंड सरकार के घोषणा की समीक्षा करते हुए बताया कि झारखंड में कुल गांव 32623 ×50 आदमी प्रति गांव (अपने आस पास के गांवों के अनुसार) = 16,31,150 आदमी यानि इतना ही उनका परिवार के जगह 1,01,250 ब्यक्ति और इतना ही उनके परिवार में 1000 रु + उसके परिवार को 1000 रु दिया जा सकेगा (1,01,250×2000 = 20,25,00,000) रु यानि 16,31,150 -1,01,250 = 15,29,900 परिवार को सहायता राशि नहीं मिलेगा।
चलिए हम प्रति गांव आधा भी संख्या मान लें तो 25 आदमी प्रति गांव के हिसाब से भी पूरे राज्य के लिए 3,26,23,00,000 का आधा मतलब 1,63,11,50,000 रु का राज्य सरकार प्रावधान करती तो भी प्रति विधायक कम से कम 1,64,33,950.6 रु यानि 1 करोड़ 64 लाख 33 हजार 951 रुपया मिलने पर माननीय विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में बांट कर कम से कम आधे जरुरत मंद को दे पाते और जनता के बीच जो आशा राज्य सरकार के घोषणा से बना उस पर खरे उतरने की कोशिश करते। घोषणा से परिलक्षित वांछित राशि का मात्र 6.2 प्रतिशत राशि निर्धारित करना मतलब बाहर फंसे 100 मजदूरों में सिर्फ 6 मजदूर को मदद मिलेगी और 100 में 94 मजदूर को कुछ नहीं मिलेगा वे सिर्फ सरकारी घैषणा के रुप में हवाई मिठाई खाकर संतोष करेंगे।
इसलिए मेरा मानना है कि लाक डाउन में राज्य के बाहर फंसे मजदूर व उसके परिवार को 1000×2=2,000 रु करके देने हेतु मात्र 25,00,000 × 81विधानसभा=20,25,00,000 रु देने का लक्ष्य रखा है और झारखंड सरकार ने खुद को बेदाग रखने के लिए विधायकों को अपने घोषणा अनुसार 3,26,23,00,000 रु के स्थान पर 20,25,00,000 रु मतलब घोषणा अनुसार वांछित कुल रुपये का 6.2 % ही दिया गया जो प्रति विधायक 25,00,000 रु देकर बली का बकरा बनाने जैसा ही तो है।
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