*न्यायपालिका गंभीर,
ग्राम समाचार गोड्डा,ब्यूरो रिपोर्ट:- माननीय उच्च न्यायालय ने बाल देखभाल संस्थानों में बच्चों के देखभाल और संरक्षण से संबंधित विभिन्न विषयों को गंभीरतापूर्वक संज्ञान में लेते हुए सूचनाओं की माँग की है। इस निमित्त सरकार के अपराध अनुसंधान शाखा ने सभी जिलों से किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अनुपालन एवं बाल देखभाल संस्थानों के नियमित निरीक्षण से संबंधित प्रतिवेदन की माँग की है।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत बाल देखभाल संस्थानों के नियमित निरीक्षण के लिए जिला स्तरीय निरीक्षण समिति गठित की गयी है, जिनके द्वारा तत्रैमासिक निरीक्षण अनिवार्य है।
किशोर न्याय नियम 2017 के प्रावधान के अनुकूल बाल देखभाल संस्थानों की प्रबंधन समिति द्वारा भी मासिक पर्यवेक्षण किया जाता है अलावा अधिनियम के अनुकूल बाल कल्याण समिति को भी इन संस्थानों का निरीक्षण करने का अधिकार प्राप्त है और दायित्व भी निर्धारित किया गया है। समिति के सदस्य/पदाधिकारी औचक निरीक्षण कर विभिन्न पहलुओं की जाँच करते हैं, जाँच प्रतिवेदन संबंधित पदाधिकारी एवं विभाग को अग्रतर कार्रवाई हेतु समर्पित की जाती है।
यह एक्ट के अनुकूल है और इसमें कोई भी कौताही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। वर्तमान में, माननीय सर्वोच्च न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय, माननीय आयोग, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, विभाग, आला अधिकारी सभी बाल देखभाल संस्थानों एवं किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अनुपालन को लेकर बहुत ही गंभीर हैं। यदि किसी संस्था द्वारा अधिनियम की अनदेखी की गयी तो यह एक गंभीर स्थिति होगी और वे क़ानून के दायरे में आ जाएंगे। जिला प्रशासन, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड एवं जिला बाल संरक्षण इकाई भी इन मुद्दों को लेकर गंभीर हैं। उक्त वांछित प्रतिवेदन अग्रतर कार्रवाई हेतु अपराध अनुसंधान शाखा को अग्रसारित कर दी जायेगी।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें