GoddaNews: आदिवासियों की संघर्ष गाथा है हूल दिवस- उपायुक्त





ग्राम समाचार गोड्डा, ब्यूरो रिपोर्ट:-  उपायुक्त गोड्डा किरण पासी ने कहा कि आदिवासियों के संघर्ष गाथा, उनके बलिदान तथा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के प्रतीक के तौर पर आज हूल दिवस मनाया जा रहा है। हूल दिवस के अवसर पर अमर शहीद सिद्धो-कान्‍हो, चांद-भैरव और फूलो-झानों सहित सभी वीरों को कोटि-कोटि प्रणाम। इस अवसर पर आइए हम सिद्धो-कान्‍हो जैसे महापुरुषों को नमन करें तथा उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प करें।
*हूल दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जून को मनाया जाता है। भारतीय इतिहास में स्वाधीनता संग्राम की पहली लड़ाई वैसे तो सन 1857 में मानी जाती है, किन्तु इसके पहले ही वर्तमान झारखंड राज्य के संथाल परगना में 'संथाल हूल' या 'संथाल विद्रोह' के द्वारा अंग्रेज़ों को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। सिद्धो तथा कान्‍हो दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून, 1855 को साहेबगंज जिले के भोगनाडीह गांव से प्रारंभ हुआ था*
उपायुक्त ने कहा कि अंग्रेजों और महाजनों के शोषण दमन के खिलाफ सिद्धो-कान्‍हो ने लोगों को संगठित किया था और देश की आजादी के लिए 1855 में अंग्रेजी शासन के खिलाफ विगूल फुंका था। सिद्धो-कान्‍हो संथाल विद्रोह के जनक थे। इन्होंने महाजनी प्रथा और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संथाल में आवाज बुलंद किया था। इस अभियान में इन्हें इनके दो भाई चांद और भैरव और दो बहन फुलो और झानो मुर्मू का भी सहयोग मिला था।
Share on Google Plus

Editor - भुपेन्द्र कुमार चौबे

ग्राम समाचार से आप सीधे जुड़ सकते हैं-
Whatsaap Number -8800256688
E-mail - gramsamachar@gmail.com

* ग्राम समाचार से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें

* ग्राम समाचार के "खबर से असर तक" के राष्ट्र निर्माण अभियान में सहयोग करें। ग्राम समाचार एक गैर-लाभकारी संगठन है, हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें।
- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

ग्राम विकास समिति