ग्राम समाचार खैरा:
नाल प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक वानिकी योजना के तहत 1990 के दशक में सैकड़ों एकड़ जमीन पर काजू के पौधे लगाये गये थे जो अब पेड़ का रूप धारण कर फल प्रदान करने लगे हैं। भले ही आम को फलों का राजा कहा जाता हैं, लेकिन काजू एक मंहगे फल है जो अमीर चंद को ही नसीब होता हैं। वही काजू जो हजार रूपये किलो बिकते हैं, प्रोसेसिंग प्लांट नहीं होने की वजह से नाला की धरती पर मूल्य हीन साबित हो रहा है। यहाँ लोग काजू के जूस जूसते है तथा बीजों को जलाकर खाते हैं। प्रखंड के डाडर, केवलजोरिया आदि ग्रामीण क्षेत्र में लगभग पचास एकड़ जमीन पर काजू बगान लहलहा रहे हैं। बताया जाता हैं 2010 में तत्कालीन उपायुक्त कृपानंद झा ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए नाला को काजू नगरी के रूप में विकसित करने के सपने संजोये थेl लेकिन ऐन वक्त पर उनके तबादले के साथ ही सपना धरे के धरे रह गए। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नाला में काजू प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की आवश्यकता है। इससे एक ओर जहाँ सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी वहीं स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
-विवेक आनंद, ग्राम समाचार, खैरा
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें