ग्राम
समाचार मिहिजाम:
जामताड़ा
जिले के फतेहपुर इलाके के रहने वाले लाखिकांत मंडल के पुत्र जय कुमार मंडल को
अचानक डीस्ट्रेन मस्कुलर डीस्ट्रोफी नमक बीमारी का शिकार लगभग जनवरी 2018 में हुआ।
जिसके इलाज को लेकर परिवार वालो ने आसनसोल, बोकारो, देवघर, भेलौर, बेंगलौर जैसी
बड़ी एलोपेथिक अस्पतालों में ले जाया गया। जहा जय कुमार एवं उनके परिवारों को
निराशा ही हाथ लगी। जिसके बाद जय के परिवार वालो को मिहिजाम होमियोपैथी मेडिकल
हॉस्पिटल के बारे में पता चला, जिसके बाद अक्टूबर 2019 से मिहिजाम होमियोपैथी
मेडिकल एंड कॉलेज की और जय कुमार की लगातार इलाज किया जा रहा है। जहा होमियोपैथी ओषधि
से अब जय में पहले से ज्यादा सुधार देखा जा रहा है। वही इस संदर्भ में डॉ० बी० एन०
सहाय रंजन ने बताया की यह डीस्ट्रेन मस्कुलर डीस्ट्रोफी नामक बीमारी है। जिससे बॉडी
के मसल्स का लॉक नहीं लगता है। यह बीमारी जेनेटिक डिजीज है। जिसमें रोगी को चलने
फिरने के साथ-साथ काम करने में भी असुविधा होती है। इस बीमारी से ग्रसित रोगी का
पूरे शरीर की गतिविधि पूर्ण रूप से नहीं हो पाती है। यह नॉर्मल पैरालाइसिस जैसा ही
है, लेकिन अगर बोला जाए तो मेडिकल साइंस में अभी तक इस बीमारी को क्रेडिबल कैटेगरी
में नहीं रखा गया है, इंक्रीडिबल कैटेगरी में रखा गया है। मेडिकल साइंस का कहना है
कि यह बीमारी एलोपेथिक ओषधि से ठीक नहीं होती है, लेकिन होम्योपैथी चिकित्सा
पद्धति के दृष्टिकोण से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। बशर्ते सही तरह से इलाज
किया जाए, समय-समय पर ब्लड टेस्ट की स्थिति को देखकर उसके लेवल को कम किया जाता है।
बीमार व्यक्ति के सुधार पर ध्यान देकर समय-समय पर दवा में बदलाव किया जाता है।
धीरे-धीरे बीमारी ठीक होना शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा की होमियोपैथी सिर्फ
बीमारी का इलाज नहीं करता अपितु होमियोपैथी बीमार व्यक्ति का इलाज करता है।
रोहित
शर्मा, ब्यूरो, जामताड़ा
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