ग्राम समाचार, भागलपुर। पूरनमल बाजोरिया शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय नरगाकोठी के प्रांगण में आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार के समापन दिवस का प्रारंभ महाविद्यालय के सचिव ब्रजभूषण तिवारी एवं प्राचार्य डॉ अजीत कुमार पाण्डेय द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। प्रो वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी (हिन्दी विभाग बी एच यू के प्रोफेसर) ने कहा कि शिक्षा को कम खर्चीला बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। हमें देश के प्रेरणा पुरूष को जानने का प्रयास करना चाहिए। स्वदेशी की भावना को अपने अन्दर विकसित करने की आवश्यकता है। राष्ट्र चिन्तन करने वाली शैक्षिक संस्थाओं को दृढ़ बनाने की जरूरत है। कोरोना ने हमें एक अवसर दिया है इसका लाभ उठाकर हमें अपने अंदर स्वदेशी का भाव विकसित करना चाहिए एवं एक नये भारत का निर्माण करें।क्षहमें सशक्त एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की आवश्यकता है। विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय सचिव दिलीप कुमार झा ने कहा कि यह वेबिनार सार्थक विषय को लेकर आयोजित है। शिक्षा से मनुष्य निर्माण की प्रक्रिया पूर्ण होती है। सर्वांगीण विकास की अवधारणा हमारा लक्ष्य है। भारत में ज्ञान की एक उज्जवल परंपरा रही है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति का आध्यात्मिक एवं भौतिक विकास हो। वास्तव में चरित्र तथा संस्कार को विकसित करना ही शिक्षा है। शिक्षा का आधुनिकीकरण करने का प्रयास करें न कि पाश्चात्यीकरण। विद्या भारती के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री रामेन्द्र राय ने कहा कि शिक्षक को प्रत्येक छात्र के अन्दर राष्ट्रीयता की भावना को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। अध्यापक का स्तर ऐसा हो जिससे बालक किसी भी कार्य को स्वयं करके सीखे। ज्ञान के विस्तार की कोई सीमा नहीं है। शिक्षा संस्कृति से जुड़ी होनी चाहिये। बालकों को साहसी और श्रेष्ठ कैसे बनाया जाए इस बात को ध्यान में रखकर शिक्षा देने की आवश्यकता है। क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्याली रामजी ने कहा कि गुरु वह है जो जिसके द्वारा सही ज्ञान तथा मार्गदर्शन मिले। शिक्षा के द्वारा राष्ट्रीय भावना का विकास हो इसकी शुरुआत स्वयं करनी चाहिए। गुरु का बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रो विनोद मिश्र (महासचिव विश्व हिन्दू सचिवालय, मारीशस ) ने कहा कि राष्ट्र शब्द अपने आप में ही सम्पूर्ण है। किसी भी राष्ट्र की आधारशिला उनकी भाषा होती है। शास्त्र के ज्ञान के आभाव में हम हम अपनी राष्ट्रीयता खो रहे हैं। वर्तमान में सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। संस्कृति को परिभाषित करने की क्षमता शिक्षा से ही संभव है। डॉ ललन कुमार तिवारी विभागाध्यक्ष विज्ञान एवं गणित, आर आइ,ई,भोपाल, (एन सी ई आर टी) ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के उत्थान में शिक्षा, शिक्षार्थी एवं शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डॉ रमाशंकर दुबे (कुलपति केन्द्रीय विश्वविद्यालय गाँधीनगर गुजरात) ने कहा कि राष्ट्र की अपनी एक संस्कृति होती है। संस्कृति विचारधारा, आदर्श से विकसित होती है। हमारे देश के सभी शिक्षाविदों ने शिक्षा को आध्यात्म से जोड़ा है। शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के विकास से ही बालक का विकास संभव है। आध्यात्मिक विकास ही बच्चे की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। भारती शिक्षा समिति बिहार के प्रदेश सचिव गोपेश कुमार घोष ने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि देश की शिक्षा राष्ट्रोन्मुखी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार में विद्वानों मनीषियों द्वारा जो चिंतन मंथन किया गया है उसे अमृत कलश के रूप में प्राप्त कर विद्यालय, महाविद्यालय में आने वाले छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगा। इसी आशा के साथ दो दिनों तक सम्मिलित हुए सभी विद्वानों को धन्यवाद एवं बधाई दिया गया। आज के इस वेबिनार का संचालन अध्यापिका सरिता कुमारी द्वारा किया गया तथा अतिथि परिचय महाविद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक राजकुमार ठाकुर द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ अजीत कुमार पाण्डेय द्वारा किया गया। तकनीकी होस्ट का कार्य सुमन शेखर द्वारा किया गया। इस अवसर पर भारती शिक्षा समिति बिहार के प्रदेश सह सचिव प्रकाश चन्द्र जायसवाल, महाविद्यालय के सदस्य डॉ मधुसूदन झा, डॉ रामकेश पांडे, डॉ दीप्तांशु भास्कर, राजकुमार ठाकुर, गौरी शंकर मिश्र, रौशन सिन्हा, राजीव शुक्ला, शशि भूषण मिश्र, धनंजय कुमार, रामजी पोद्दार, मिथलेश कुमार एवं देश विदेश से लोग उपस्थित थे।
Bhagalpur News:नरगाकोठी महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार सम्पन्न
ग्राम समाचार, भागलपुर। पूरनमल बाजोरिया शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय नरगाकोठी के प्रांगण में आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार के समापन दिवस का प्रारंभ महाविद्यालय के सचिव ब्रजभूषण तिवारी एवं प्राचार्य डॉ अजीत कुमार पाण्डेय द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। प्रो वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी (हिन्दी विभाग बी एच यू के प्रोफेसर) ने कहा कि शिक्षा को कम खर्चीला बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। हमें देश के प्रेरणा पुरूष को जानने का प्रयास करना चाहिए। स्वदेशी की भावना को अपने अन्दर विकसित करने की आवश्यकता है। राष्ट्र चिन्तन करने वाली शैक्षिक संस्थाओं को दृढ़ बनाने की जरूरत है। कोरोना ने हमें एक अवसर दिया है इसका लाभ उठाकर हमें अपने अंदर स्वदेशी का भाव विकसित करना चाहिए एवं एक नये भारत का निर्माण करें।क्षहमें सशक्त एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की आवश्यकता है। विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय सचिव दिलीप कुमार झा ने कहा कि यह वेबिनार सार्थक विषय को लेकर आयोजित है। शिक्षा से मनुष्य निर्माण की प्रक्रिया पूर्ण होती है। सर्वांगीण विकास की अवधारणा हमारा लक्ष्य है। भारत में ज्ञान की एक उज्जवल परंपरा रही है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति का आध्यात्मिक एवं भौतिक विकास हो। वास्तव में चरित्र तथा संस्कार को विकसित करना ही शिक्षा है। शिक्षा का आधुनिकीकरण करने का प्रयास करें न कि पाश्चात्यीकरण। विद्या भारती के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री रामेन्द्र राय ने कहा कि शिक्षक को प्रत्येक छात्र के अन्दर राष्ट्रीयता की भावना को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। अध्यापक का स्तर ऐसा हो जिससे बालक किसी भी कार्य को स्वयं करके सीखे। ज्ञान के विस्तार की कोई सीमा नहीं है। शिक्षा संस्कृति से जुड़ी होनी चाहिये। बालकों को साहसी और श्रेष्ठ कैसे बनाया जाए इस बात को ध्यान में रखकर शिक्षा देने की आवश्यकता है। क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्याली रामजी ने कहा कि गुरु वह है जो जिसके द्वारा सही ज्ञान तथा मार्गदर्शन मिले। शिक्षा के द्वारा राष्ट्रीय भावना का विकास हो इसकी शुरुआत स्वयं करनी चाहिए। गुरु का बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रो विनोद मिश्र (महासचिव विश्व हिन्दू सचिवालय, मारीशस ) ने कहा कि राष्ट्र शब्द अपने आप में ही सम्पूर्ण है। किसी भी राष्ट्र की आधारशिला उनकी भाषा होती है। शास्त्र के ज्ञान के आभाव में हम हम अपनी राष्ट्रीयता खो रहे हैं। वर्तमान में सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। संस्कृति को परिभाषित करने की क्षमता शिक्षा से ही संभव है। डॉ ललन कुमार तिवारी विभागाध्यक्ष विज्ञान एवं गणित, आर आइ,ई,भोपाल, (एन सी ई आर टी) ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के उत्थान में शिक्षा, शिक्षार्थी एवं शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डॉ रमाशंकर दुबे (कुलपति केन्द्रीय विश्वविद्यालय गाँधीनगर गुजरात) ने कहा कि राष्ट्र की अपनी एक संस्कृति होती है। संस्कृति विचारधारा, आदर्श से विकसित होती है। हमारे देश के सभी शिक्षाविदों ने शिक्षा को आध्यात्म से जोड़ा है। शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के विकास से ही बालक का विकास संभव है। आध्यात्मिक विकास ही बच्चे की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। भारती शिक्षा समिति बिहार के प्रदेश सचिव गोपेश कुमार घोष ने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि देश की शिक्षा राष्ट्रोन्मुखी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनार में विद्वानों मनीषियों द्वारा जो चिंतन मंथन किया गया है उसे अमृत कलश के रूप में प्राप्त कर विद्यालय, महाविद्यालय में आने वाले छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगा। इसी आशा के साथ दो दिनों तक सम्मिलित हुए सभी विद्वानों को धन्यवाद एवं बधाई दिया गया। आज के इस वेबिनार का संचालन अध्यापिका सरिता कुमारी द्वारा किया गया तथा अतिथि परिचय महाविद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक राजकुमार ठाकुर द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ अजीत कुमार पाण्डेय द्वारा किया गया। तकनीकी होस्ट का कार्य सुमन शेखर द्वारा किया गया। इस अवसर पर भारती शिक्षा समिति बिहार के प्रदेश सह सचिव प्रकाश चन्द्र जायसवाल, महाविद्यालय के सदस्य डॉ मधुसूदन झा, डॉ रामकेश पांडे, डॉ दीप्तांशु भास्कर, राजकुमार ठाकुर, गौरी शंकर मिश्र, रौशन सिन्हा, राजीव शुक्ला, शशि भूषण मिश्र, धनंजय कुमार, रामजी पोद्दार, मिथलेश कुमार एवं देश विदेश से लोग उपस्थित थे।
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