किसानों की बात, कृषि मंत्री के साथ कार्यक्रम आयोजित



ग्राम समाचार, भागलपुर। किसानों की बात, कृषि मंत्री के साथ कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को कृषि, पशु एव मत्स्य संसाधन मंत्री डा. प्रेम कुमार ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के अधीन संचालित सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों जिले के किसान से रू -ब- रू हुए। इस कार्यक्रम के माध्यम से मंत्री ने जिले के किसानों को वर्तमान समय में कृषि के समक्ष उत्पन्न चुनौतियां, कृषि से संबंधित व्यापक विषयों से किसानों को जागरूक करने सहित विभागीय योजनाओं में किसानों की सहभागिता सुनिश्चित करने संबंधी बातों से अवगत कराया। इस कार्यक्रम के माध्यम से जुड़े किसानों ने मंत्री से सीधा संवाद किया एवं खेती-किसानी में हो रही समस्याओं से मंत्री को अवगत कराया। इस वीडियो कान्फ्रेंसिंग में सभी कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान सहित विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भाग लिया। मंत्री ने 'किसानों की बात, कृषि मंत्री के साथ' कार्यक्रम में कृषि मंत्री द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं यथा स्वायल हेल्थ कार्ड प्राप्त किसान, विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत अनुदान पर वितरित बीज प्राप्त लाभुक किसान, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से लाभान्वित किसान आदि से वार्त्ता की। इस मौके पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति, डा. अजय कुमार सिंह, निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. आर. के. सोहाने, सचिव, कृषि विभाग, डा. एन. सरवण कुमार जुड़े रहे। सभी जिलों के किसानों ने एक-एक करके अपने खेती से जुड़े समस्याओं को मंत्री के समक्ष रखा जिसपर मंत्री ने‌किसानों को समाधान देने हेतु आश्वासन दिया। दो घंटे तक चलने वाले वीडियो कान्फ्रेंसिंग में 20 जिलों के 5000 से अधिक किसानों ने मंत्री से सीधा संवाद किया। इस अवसर पर विभिन्न किसानों के सफलता की कहानी से भी मंत्री को अवगत कराया गया। मंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम प्रत्येक माह होना था। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण कुछ महीनों से यह कार्यक्रम नहीं हो पा रहा है। इसे

फिर से चालू किया गया है। मंत्री ने बताया कि किसानों के खेत तक पानी पहुँचाने हेतु विशेष बिजली की दर तय की जा रही है। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए सर्वेक्षण का काम चल रहा है। मंत्री ने पराली को बड़ी समस्या के रूप में चिन्हित किया है। उन्होनें कहा कि फसल अवशेष को जलाने से बहुत नुकसान होता है। इस अवसर पर सचिव, कृषि विभाग ने भी कहा कि फसल अवशेष को जलाने से बहुत नुकसान होता है। इसलिए किसान पराली को न जलायें। उन्होंने फसल प्रबंधन को बढ़ावा देने हेतु अनुदान को बढ़ाने जाने के बारे में बताया। 


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Editor - Bijay shankar

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