खेल कोटे में बहाली प्रक्रिया में आरक्षण को लेकर सरकार खेल और खिलाड़ी के साथ कर रही खिलवाड़
ग्राम समाचार, भागलपुर। बिहार सरकार के द्वारा कांस्टेबल और सब इंस्पेक्टर पोस्ट के लिए खेल कोटे से बहाली की प्रक्रिया चल रही है। जो कि एक बहुत ही अच्छी पहल है। इसका नाम भी प्रतिभा खोज यानी टैलेंट हंट रखा गया है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी में जाने का यह एक अच्छा मौका है। वॉलीबॉल के एनआईएस और इंटरनेशनल लेवल वन कोच सह कोचिंग सेक्रेटरी नीलकमल राय ने बताया कि बिहार सरकार द्वारा पुलिस की बहाली में खेल कोटे से एक प्रतिशत प्रतिभावान खिलाड़ियों को भर्ती कर बिहार पुलिस की एक विभिन्न खेलों के लिए एक अच्छी टीम तैयार किया जाएगा। यह सरकार की तरफ से बहुत अच्छी पहल है। लेकिन इस एख प्रतिशत कोटे में भी आरक्षण दिया जा रहा है, जो कि खेल कोटे कि बहाली में देश का पहला उदाहरण बनने जा रहा है। प्रतिभावान खिलाड़ियों को रेलवे, सर्विसेज, एजी एवम् अन्य विभागों में भर्ती किया जाता है। लेकिन वहां किसी तरह का रिजर्वेशन नहीं होता है। खिलाड़ी सलेक्शन ट्रायल में प्रदर्शन और उनके सर्टिफिकेट उपलब्धी को देखा जाता है। जब भी कोई टीम बनाई जाती है, चाहे वह स्कूल का हो, जिला का हो, राज्य या देश का हो उसमे खिलाड़ी के प्रदर्शन को आधार मान कर चयन किया जाता है, ना कि जाती धर्म देखकर। फिर खेल कोटे में भर्ती में इस तरह की नियमावली सरकार के द्वारा क्यों बनायी गयी। इसको लेकर बिहार के खिलाड़ियों, खेल संघो एवम् खेल से जुड़े हुए लोगों में काफी रोष है। किसी भी राज्य सरकार और केंद्र सरकार के विभागों में खेल कोटे कि नियुक्त में जाती कोटे को आधार नहीं बनाया गया है। कल शनिवार को जबकि खेल दिवस है। जिस दिन हॉकी के जादूगर ध्यानचंद जी की जन्म तिथि है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि बिहार पुलिस में खेल कोटे से नियुक्ति की नियमावली में बदलाव लाकर प्रतिभाशाली अच्छे खिलाड़ियों को नियुक्ति में अवसर देने का कार्य करें। आज जबकि बिहार में खेल की आधारभूत संरचनाओं का घोर आभाव है। खेल प्रशिक्षकों की घोर कमी है। खिलाड़ियों को अपना भविष्य सुरक्षित दिखाई नहीं देता है। ऐसे में इस तरह की नियमावली लाकर सरकार ने उनके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगाने का काम किया है।
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