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मसलिया के मोहलीडीह गांव में करमा को लेकर नृत्य करती बच्चियां |
ग्राम समाचार,दुमका। मसलिया प्रखंड के विभिन्न गांवों में सात दिवसीय करमा पर्व जगह जगह करते देखा जा रहा है। करमा पर्व रक्षा बंधन पर्व का ही एक प्रतिरूप पर्व है। जिसमें बहनें अपने भाई के स्वास्थ्य की मंगलमय कामना करते उनके रक्षा के लिए पर्व को मनाती है। सात दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में विवाहिता बहन को ससुराल से भाई अपने घर विदाई कराकर लाते हैं। बहनों को भी साल भर में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह व चिर प्रतीक्षा रहती है। भादो महीना शुक्ल पक्ष के तृतीया व पंचमी चांद के उगने से यह पर्व प्रारंभ होता है। जिसमें व्रती नहा धोकर शुद्ध होकर नदी से बालू लाकर बांस के डालिये में जो,कुरथी, मकई, मटर, बरबटी, गेहूं का बीच बुनती है। और तीन बार नियम पूर्वक करम डाल के चारों और पारंपरिक करमा गीत गाकर नृत्य करती है। यह सात दिनों एकादशी तिथि तक चलता है। अंतिम दिन उपवास रखकर क्षेत्र भ्रमण करने के लिए साड़ी भारतीय परिहान पहन कर बारह गांवों में घूमने जाती है। एकादशी रात्रि को कदम पेड़ के डाल को गाड़कर कर कर्म व धर्म पर प्रचलित कहानी को गांव के बुजुर्ग सुनाते हैं। सभी बहने अच्छे कर्म करने व सच्चाई के मार्ग पर चलने का संकल्प लेती है। प्रसाद में पूवा पकवान बनता है। अंत मे प्रातः होते कदम डाल व कर्म डलिया को नदी पोखर में विसर्जित कर स्नान कर घर लौटते हैं। इस पर्व को लेकर छोटी बड़ी सभी उम्र के युवतियां मनाती है। मसलिया के बसकीडीह पंचायत के मोहलीडीह गांव के खुशबू कुमारी, खुशी कुमारी, पूनम कुमारी, पूजा कुमारी, अनिता कुमारी, सुमित्रा कुमारी व वर्षा कुमारी आदि व्रत रखी है और नियम पूर्वक पर्व मना रही है। यह मसलिया के प्रायः सभी गांवों के हिन्दू समाज की युवतियां मनाती है।
केसरीनाथ यादव,ग्राम समाचार दुमका ।
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