ग्राम समाचार, भागलपुर। बदले सियासी समीकरण के बीच भागलपुर के पीरपैंती (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला राजद और भाजपा के बीच ही तय माना जा रहा है। दोनों ओर से दावेदारी लगातार की जा रही है। गठबंधन के तहत किस दल को यह सीट जाता है, यह भी देखना होगा। लेकिन अबतक जदयू पीरपैंती (सुरक्षित) सीट में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पायी है। 2005 से पहले तक सीपीआई का गढ़ माना जाने वाला पीरपैंती (सुरक्षित) विधानसभा में 2005 के बाद से सीपीआई का किला ढह गया। पीरपैंती (सुरक्षित) सीट की राजनीति पांच दशक तक सीपीआई नेता स्व.अम्बिका प्रसाद के इर्द-गिर्द घूमती रही। उन्होंने हैट्रिक लगाते हुए छह बार विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे। जबकि छह बार उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा। लेकिन 2005 के विधानसभा चुनाव में सीपीआई के तीन नम्बर पर चले जाने के बाद सीपीआई का जनाधार यहां से खिसकता चला गया और इसके बाद बिहार की सियासत ने करवट बदली। उसके बाद से यहां मुख्य मुकाबला राजद और भाजपा के बीच रह गया। 2000 और 2005 के चुनाव में राजद के शोभाकांत मंडल ने यहां से जीत दर्ज की तो भाजपा के अमन कुमार ने पहली बार 2010 में भाजपा का झंडा यहां से बुलंद किया। लेकिन 2015 के चुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदला और चुनावी ताल ठोकने के लिए अखाड़े में ललन कुमार को उम्मीदवार बनाया। लेकिन इस चुनाव में राजद के रामविलास पासवान ने ललन कुमार को मात देते हुए विधानसभा का सफर तय किया। पहले आमचुनाव 1951 के बाद 1962 तक इस सीट पर कांग्रेस काबिज रही। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के दिलीप कुमार सिन्हा ने दो बार यहां से जीत दर्ज कर कांग्रेस को गति प्रदान किया। भागवत झा आजाद के मुख्यमंत्री काल मे दिलीप कुमार सिन्हा बिहार सरकार के मंत्री भी बने। हालांकि बाद में दिलीप कुमार सिन्हा ने भाजपा का दामन थाम लिया। लेकिन 1985 के चुनाव के बाद यहां से कांग्रेस जीत दर्ज कर पाने में नाकामयाब रही। पीरपैंती (सुरक्षित) विधानसभा झारखंड की सीमा से सटा है। पीरपैंती और कहलगांव के 47 ग्राम पंचायतों को अपने मे समेटे पीरपैंती की 29 और कहलगांव प्रखंड की 18 पंचायत झारखंड के साहिबगंज और गोड्डा से सटा है। यहां के लोगों के आय का मुख्य जरिया कृषि ही है। मुख्य रूप से गन्ना और मिर्च उत्पादन के लिए यह इलाका जाना जाता है। आम के बड़े-बड़े बगीचे और अपने अनोखे मिठास के लिए मालदह आम के उत्पादन के लिए भी यह मशहूर है। जिले में सबसे अधिक गन्ना की खेती यहीं होती है। विधानसभा क्षेत्र स्थित धार्मिक स्थलों में बटेश्वर स्थान और योगीवीर पहाड़ी के अलावा दातासाह पीर मजार पर हरेक साल लाखों लोग दूरदराज इलाकों से पहुंचते हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल क्षेत्र पीरपैंती 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 12 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के मतदाता हैं। 10 प्रतिशत मुस्लिम तो करीबन दस फीसदी ही यादव मतदाता हैं। पांच प्रतिशत वैश्य हैं। 10 प्रतिशत कुर्मी, कोयरी और धानुक मतदाता हैं। सवर्ण मतदाता भी करीब 10 प्रतिशत हैं। 30% में अन्य जातियों के मतदाता हैं। पीरपैंती (सुरक्षित) विधानसभा में कुल मतदाता 33,2,272 हैं, जिनमें महिला मतदाता 15,5,228 और पुरुष मतदाता 17,7,033 और अन्य 11 हैं। 2015 विधानसभा चुनाव के आंकड़े को देखें तो यहां पर 3,07,808 मतदाताओं थे। इसमें से 53.4 फीसदी पुरुष और 46.59 महिला वोटर्स थीं। पीरपैंती में 1,77,151 लोगों ने वोटिंग की थी। यानी 57 फीसदी वोटिंग पीरपैंती सीट पर हुई थी। इस चुनाव में यहां से आरजेडी के रामविलास ने जीत हासिल की थी। उन्होंने बीजेपी के ललन कुमार को मात दी थी। रामविलास को 80058 वोट मिले थे, जबकि ललन कुमार के खाते में 74914 वोट पड़े थे। वोट प्रतिशत की बात करें तो रामविलास को 45.2 फीसदी वोट हासिल हुए थे तो वहीं ललन कुमार को 42.29 फीसदी वोट मिले थे। 4622 वोटों के साथ सीपीआई के हीरालाल तीसरे स्थान पर थे। आरजेडी के विधायक रामविलास ने साल 1988 में राजनीति में एंट्री की थी। 5 सितंबर, 1972 को जन्मे रामविलास पेशे से किसान हैं। 2015 में चुनाव जीतकर वह पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं।
Bhagalpur News:राजद और भाजपा के बीच होगा कड़ा मुकाबला, सीपीआई को 6 चुनावों में यहां से मिली है जीत
ग्राम समाचार, भागलपुर। बदले सियासी समीकरण के बीच भागलपुर के पीरपैंती (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला राजद और भाजपा के बीच ही तय माना जा रहा है। दोनों ओर से दावेदारी लगातार की जा रही है। गठबंधन के तहत किस दल को यह सीट जाता है, यह भी देखना होगा। लेकिन अबतक जदयू पीरपैंती (सुरक्षित) सीट में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पायी है। 2005 से पहले तक सीपीआई का गढ़ माना जाने वाला पीरपैंती (सुरक्षित) विधानसभा में 2005 के बाद से सीपीआई का किला ढह गया। पीरपैंती (सुरक्षित) सीट की राजनीति पांच दशक तक सीपीआई नेता स्व.अम्बिका प्रसाद के इर्द-गिर्द घूमती रही। उन्होंने हैट्रिक लगाते हुए छह बार विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे। जबकि छह बार उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा। लेकिन 2005 के विधानसभा चुनाव में सीपीआई के तीन नम्बर पर चले जाने के बाद सीपीआई का जनाधार यहां से खिसकता चला गया और इसके बाद बिहार की सियासत ने करवट बदली। उसके बाद से यहां मुख्य मुकाबला राजद और भाजपा के बीच रह गया। 2000 और 2005 के चुनाव में राजद के शोभाकांत मंडल ने यहां से जीत दर्ज की तो भाजपा के अमन कुमार ने पहली बार 2010 में भाजपा का झंडा यहां से बुलंद किया। लेकिन 2015 के चुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदला और चुनावी ताल ठोकने के लिए अखाड़े में ललन कुमार को उम्मीदवार बनाया। लेकिन इस चुनाव में राजद के रामविलास पासवान ने ललन कुमार को मात देते हुए विधानसभा का सफर तय किया। पहले आमचुनाव 1951 के बाद 1962 तक इस सीट पर कांग्रेस काबिज रही। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के दिलीप कुमार सिन्हा ने दो बार यहां से जीत दर्ज कर कांग्रेस को गति प्रदान किया। भागवत झा आजाद के मुख्यमंत्री काल मे दिलीप कुमार सिन्हा बिहार सरकार के मंत्री भी बने। हालांकि बाद में दिलीप कुमार सिन्हा ने भाजपा का दामन थाम लिया। लेकिन 1985 के चुनाव के बाद यहां से कांग्रेस जीत दर्ज कर पाने में नाकामयाब रही। पीरपैंती (सुरक्षित) विधानसभा झारखंड की सीमा से सटा है। पीरपैंती और कहलगांव के 47 ग्राम पंचायतों को अपने मे समेटे पीरपैंती की 29 और कहलगांव प्रखंड की 18 पंचायत झारखंड के साहिबगंज और गोड्डा से सटा है। यहां के लोगों के आय का मुख्य जरिया कृषि ही है। मुख्य रूप से गन्ना और मिर्च उत्पादन के लिए यह इलाका जाना जाता है। आम के बड़े-बड़े बगीचे और अपने अनोखे मिठास के लिए मालदह आम के उत्पादन के लिए भी यह मशहूर है। जिले में सबसे अधिक गन्ना की खेती यहीं होती है। विधानसभा क्षेत्र स्थित धार्मिक स्थलों में बटेश्वर स्थान और योगीवीर पहाड़ी के अलावा दातासाह पीर मजार पर हरेक साल लाखों लोग दूरदराज इलाकों से पहुंचते हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल क्षेत्र पीरपैंती 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 12 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के मतदाता हैं। 10 प्रतिशत मुस्लिम तो करीबन दस फीसदी ही यादव मतदाता हैं। पांच प्रतिशत वैश्य हैं। 10 प्रतिशत कुर्मी, कोयरी और धानुक मतदाता हैं। सवर्ण मतदाता भी करीब 10 प्रतिशत हैं। 30% में अन्य जातियों के मतदाता हैं। पीरपैंती (सुरक्षित) विधानसभा में कुल मतदाता 33,2,272 हैं, जिनमें महिला मतदाता 15,5,228 और पुरुष मतदाता 17,7,033 और अन्य 11 हैं। 2015 विधानसभा चुनाव के आंकड़े को देखें तो यहां पर 3,07,808 मतदाताओं थे। इसमें से 53.4 फीसदी पुरुष और 46.59 महिला वोटर्स थीं। पीरपैंती में 1,77,151 लोगों ने वोटिंग की थी। यानी 57 फीसदी वोटिंग पीरपैंती सीट पर हुई थी। इस चुनाव में यहां से आरजेडी के रामविलास ने जीत हासिल की थी। उन्होंने बीजेपी के ललन कुमार को मात दी थी। रामविलास को 80058 वोट मिले थे, जबकि ललन कुमार के खाते में 74914 वोट पड़े थे। वोट प्रतिशत की बात करें तो रामविलास को 45.2 फीसदी वोट हासिल हुए थे तो वहीं ललन कुमार को 42.29 फीसदी वोट मिले थे। 4622 वोटों के साथ सीपीआई के हीरालाल तीसरे स्थान पर थे। आरजेडी के विधायक रामविलास ने साल 1988 में राजनीति में एंट्री की थी। 5 सितंबर, 1972 को जन्मे रामविलास पेशे से किसान हैं। 2015 में चुनाव जीतकर वह पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं।
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