Rewari News : लेखक रणबीर सिंह की कलम से...... आर्टिकल..... अर्धसैनिक यानि आधा अधूरा



*अर्धसेनिक यानी आधा-अधूरा*

चाहे वो अर्ध कुंवारी, अर्ध चंद्र, अर्ध नग्न, अर्ध निर्मित, अर्ध शिक्षित, अर्ध विलिप्त, अर्ध नारीश्वर इस तरह के भेदभाव वाले शब्द डिक्शनरी में ओर बहुत मिलेंगे जिनमें बू कहें या विशेष प्रकार की गंध आती है जो कि अपने को दबा कुचला अछूता सा महसूस होने का आभास होता है । इनमें से एक हम हैं जिनको *अर्ध-सेैनिक* कहते हैं जोकि सुविधाओं से महरूम ! ये अर्ध सत्य नहीं बल्कि हकीकत है।

एक ओर शब्द *पैरामिलिट्री* का चलन हो रहा था ओर अब भी है । इसके लिए एक ही उदाहरण काफी है जब आदमी को पैरा या फालिज या अधरंग हो जाए तो उसका शरीर का आधा या सवाया हिस्सा काम करना बंद कर देता है , *पैरा ओलम्पिक* उदाहरण आपके सामने है जिसमें विकलांग व्यक्ति हिस्सा लेते हैं। जहां तक वर्दी भी की बार बदलाव आया। खाकी से सिलसिला शुरू हुआ , चितकबरी, डांगरी, सफारी, टाई , कभी कॉम्बैट विभिन्न कैमोफ्लाज रूप देखने को मिले। लेकिन खाकी की पहचान खत्म कर कॉम्बैट ड्रेस करना हमारे लिए घातक सिद्ध हुआ। आज सरहदों से लेकर संसद तक,पोर्ट, एयरपोर्ट, मैट्रो, परमाणू घरों, महत्वपूर्ण औधोगिक संस्थानों  व देश के हर राज्यों के गली मुहल्ले कस्बों शहरों चाक चौराहों पर चाक-चौबंद चौंकिदारी करते अर्धसेनिक बलों के जवानों को चौकस देखा जा सकता है। लेकिन देशवासियों को लगता है कि ये सेना के जवान हैं। 

फिर ऐसे क्या कारण रहे कि तृतीय वेतन आयोग में यही अर्धसेनिक सेना से 10 रू ज्यादा वेतन पाते थे और आज डेढ़ गुना ज्यादा तन्खवाह सेना जवान ले रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण आईपीएस अधिकारियों का सुरक्षा बलों पर थौंपा जाना ये सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। *आईपीएस तूं चल में आया* मस्ती के लिए आए ओर चल दिए। जिस तरहां से 2004 से *एनपीएस* अर्धसेनिक बलों पर थौंपा गया , कोई आईपीएस डीजी बचाव में नहीं आया बल्कि दुसरी ओर सेना के जनरल विरोध में आए। 

*सरकारें आई ओर गई हम आधे-अधूरे ओर सुविधाओं के नाम पर ठगे से*। 

हम अक्सर देश के लिए शहीद होते रहते हैं , आजादी के बाद आज़ तक 34 हजार जवानों ने देश के लिए सुप्रीम शहादत दी , कोई देखने वाला नहीं कि आज वो शहीद परिवार किस हाल में हैं । कहते हुए हैरानी होती है कि पुलवामा शहीदों के नाम पर वोट मांगे गए ओर राष्ट्रवाद की लहर फ़ैला सत्ता की सीढ़ियां चढें आज हमें भूल गए। 2001 आतंकी हमले में सीआरपीएफ के जवानों ने देश के लोकतंत्र मंदिर  संसद भवन को आतंकी हमले से बचाया। ओर बदले में सरकार ने इन्हीं सुरक्षा बलों की पैंसन बंद कर दी। अब सवाल उठता है कि *ढाई दिन के सांसद को पैंशन ओर जिन सुरक्षा बलों ने देश की संसद को बचाया उनकी पैंसन बंद*।


माफ किजिएगा सेना का हम मुकाबला नहीं कर रहे हैं लेकिन अब समय की मांग कि सुविधाएं बैरकस में रहने वालों को मिले या बार्डर पर चाक चौबंद चौकिदारी करने वाले बीएसएफ आईटीबीपी एसएसबी को मिले। एक तरफ सेना को सियाचिन भत्ते के नाम पर 30000-42000 रु प्रति माह जबकि 20 हजार फीट बर्फीले हिमालय के हिमवीरों को इस तरह का भत्ता नहीं इसे आप क्या कहेंगे ?


दोस्तों जब भी संसद में हमारे बेहतर सुविधाएं देने का प्रश्न उठता है तो माननीय ग्रह राज्य मंत्री का सालों से एक ही रटा रटाया जवाब होता है कि केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान तो सीसीएस रूलस के तहत आते हैं । साहब जब नोटबंदी, जीएसटी, धारा 370, 35ए , सीएए  जैसे अध्यादेश एवं विधेयक पारित कर सकते हैं तो इस काले कानून को खत्म कर अलग से पैरामिलिट्री चौकीदारों के पैरा मिलिट्री सर्विस रूल्स बनाए जाएं ताकि जवानों की सेवा शर्तें, सहुलियते एवं सुविधाओं में इजाफा हो। 


जब माननीय प्रधानमंत्री जी योजना आयोग को निति आयोग में, विकलांग को दिव्यांग,7 आरसीआर को लोक कल्याण में तब्दील कर सकते हैं तो फिर अर्धसेनिक बलों को पुर्ण सैनिक का दर्जा क्यों ना दिया जाए* ताकि जवानों की सेवा शर्तें, पदोन्नति , वेतन विसंगति , बेहतर स्वास्थ्य आ सुविधाएं व अन्य कल्याण संबंधी योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा सके। याद दिलाना चाहेंगे कि 7वें वेतन आयोग लागू होने से पहले श्री किरण रिजिजू तब के ग्रह राज्य मंत्रीजी ने संसद में बयान दिया कि सेना की तर्ज पर अर्ध सैनिक बलों को भी पैरामिलिट्री सर्विस-पे दिया जाएगा लेकिन आज़ सरकार इस बारे में चुप्पी साधे हुए है। 

*जब मंत्री जी इस प्रकार की झूठी बयानबाजी संतरी के प्रति संसद में करें तो सरहदों की चाक-चौबंद चौंकिदारी व नक्सलवाद एवं काश्मीर आंतकवाद से लड़ रहे अर्धसेनिक बलों के जवानों पर क्या असर पड़ेगा* लम्बी कानुनी लड़ाई के बाद *माननीय उच्च एवं उच्चतम न्यायालय के द्वारा ऑर्गेनाइज्ड ग्रुप "ए" सर्विस का महत्वपूर्ण फैसला व कैबिनेट कमेटी द्वारा पारित करने के बाद भी लागू न किया जाना इस देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा*


 ग्रह मंत्रालय में कुंडली मारकर बैठे एक विशेष लॉबी द्वारा तरह तरह के रोड़े अटकाए जा रहे हैं जो कि चिंतनीय विषय। दिनांक 23.11.2012 ग्रह मंत्रालय के आदेश में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को एक्समैन स्टेटस दिया गया । दुःख की बात आज़ तक गोवा को छोड़कर किसी भी राज्य ने लागू नहीं किया। सुरक्षा बलों के कल्याणार्थ हेतु ग्रह मंत्रालय द्वारा कल्याण एवं पुनर्वास बोर्ड WARB की स्थापना की गई थी जो कि कल्याण के नाम पर आज एक सफेद हाथी सिद्ध हो रहा है जिसकी आज तक एक मौक़े को छोड़कर पैरामिलिट्री वेटरन्स के साथ कोई बैठक ही नहीं हुई ऐसे बोर्ड से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं। 


आज देश के विभिन्न राज्यों में लाखों पैरामिलिट्री फोर्स के जवान व उनके परिवार स्वास्थ्य सुविधाओं के ना होने से तिल-तिल कर मरने को मजबूर हैं जैसा कि ज्ञातव्य है कि उपरोक्त फोर्स के परिवार सीजीएचएस डिस्पेंसरी से इलाज व दवाइयां लेते हैं लेकिन जब दूर दूर सैकड़ों किलोमीटर तक डिस्पेंसरी ही नहीं तो इलाज के लिए जाएं कहां ? एक तरफ सरकार तीन जिलों को मिलाकर मेडिकल कॉलेज की बात करती है क्यों ना सीजीएचएस डिस्पेंसरियों का विस्तार किया जाए ताकि जवानों के परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। देशभर में सेना परिवारों के बेहतर शिक्षा वास्ते सैनिक स्कूल, एयरफोर्स, मिलिट्री एवं नेवी स्कूल बनें है लेकिन क्या किसी ने किसी राज्य में अर्धसेनिक स्कूल या पैरामिलिट्री स्कूल सुना है जहां हमारे बच्चे भी बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें। एक तरफ तो सरकार सरदार पटेल के नाम पर 3500 करोड़ की लागत से मूर्ती निर्मित किए हैं क्या ही अच्छा होता अगर सरदार पटेल के नाम पर अर्धसैनिक बलों के बच्चों वास्ते स्कूल खोले जाते।


 *समय की मांग कि राज्यों में जिला स्तर पर सैनिक बोर्ड की तर्ज पर अर्ध सैनिक कल्याण बोर्ड का गठन, पैरामिलिट्री बहुल इलाकों में सीजीएचएस डिस्पेंसरियां का विस्तार, बेहतर शिक्षा वास्ते अर्धसेनिक स्कूलों की स्थापना, अर्धसेनिक बलों की सैंट्रल पुलिस कैंटीन पर 50% जीएसटी छूट मिले, जवानों को फिर से पुरानी पैंशन बहाली, पैरामिलिट्री सर्विस पे एवं वन रैंक वन पेंशन जैसी सुविधाएं सरकार मुहैया कराई जाए ताकि सरहदों के वास्तविक चौकीदारों के परिवारों के जीवन स्तर में इजाफा हो एक नई उमंग एवं ऊर्जा का संचार उपरोक्त सुरक्षा बलों में होगा जिससे  देश के अंदरूनी एवं बाहरी सुरक्षा में जवान तन मन से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे*


कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन इन सभी जायज मसलों को लेकर जंतर-मंतर राजघाट संसद मार्ग व अन्य व अन्य राज्यों के विभिन्न हिस्सों में शांतिपूर्ण आंदोलन के जरिए सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन जी, राजनाथ सिंह जी, अमित शाह जी  श्री नित्यानंद राय ,केंद्रीय गृह सचिव व अन्य मंत्रियों से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपे गए यहां तक कि सैकड़ों मैमोरंडम माननीय प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला । आज के हालात जहां आए दिन जवान आत्महत्याएं कर रहे हैं आपस सिनियर जुनियर में सूट-आउट हो रहें हैं सरकार को कोई फ़िक्र नहीं ऐसा लगता है।


 *कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन का सर्वसम्मति से फैसला कि आने वाले 13 दिसंबर को हजारों की संख्या में पुर्व अर्धसैनिक बलों के परिवार वन रैंक वन पेंशन, पुरानी पैंशन बहाली व अन्य जायज मांगों को लेकर बापू की समाधि राजघाट से राष्ट्रपति भवन तक शांतिपूर्ण मौन जुलूस निकालकर महामहिम राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपेंगे*


*एक भेदभाव पूर्ण रवैए की  लिस्ट शेयर कर रहा हूं शायद आप सहमत हों*!

सैनिक स्कूल

सैनिक आरामगाह

सैनिक कल्याणबोर्ड

सैनिक अस्पताल

सेना छावनी

सेना कमांड

सैनिक पुनर्वास

सेना मैडिकल कालेज

सेना OROP

सेना OPS

सेना msp

सेना CSD-GSTफ्री

सेना कैडर Genl

सेना फ्री राशन

सेना डिफेंसकालोनी

सेना शहीद दर्ज़ा

सेना बोगी

सेना झंडादिवस

*अर्धसेना का सरकार बताएं....*


लेखक

*रणबीर सिंह*

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Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

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