ज्ञान विज्ञान समिति की मोटर साईकिल रैली
ग्राम समाचार, दुमका । दया सागर, करुणा सागर, समाज सुधारक पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर के कर्मभूमि जामताड़ा जिला के कर्माटाड़ स्थित नंदन कानन को ज्ञान विज्ञान समिति ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग किया हैं ।शनिबार उस महान बिभूति के 201वी जन्म जयंती के अबसर पर ज्ञान विज्ञान समिति एबं विद्यासागर स्मृति रक्षा समिति के संयुक्त तत्वावधान में यहां जन्म जयंती समारोह का आयोजन हुई। जामताड़ा जिला के उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज बतौर मुख्य अतिथि शिरकत किये हैं । विद्यासागर पार्क में स्मृति रक्षा समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार बोस, ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय समिति के महामंत्री डॉ. काशीनाथ चटर्जी लेखक अजीत राय ने माल्यार्पण कर कार्यक्रम का सुभारम्भ किये हैं ।इस अबसर पर उस महान बिभूति के कर्मकांड को लेकर ज्ञान विज्ञान समिति की ओर से मोटर साईकिल रैली निकाला गया हैं ।रैली में राज्य का बिभिन्न जिला से 150 विज्ञान समिति के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया हैं ।समारोह को संबोधित कर दा. चटर्जी ने विद्यासागर के कर्मभूमि नंदन कानन को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कराने की मांग किया हैं ।पिछले साल राज्य सभा के सांसद महेश पोद्दार ने नंदन कानन को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिये राज्यसभा में मांग किया हैं ।उसी मांग के आलोक में जुलाई महीना में आर्कलजी बिभाग के चार सदस्यीय दल यहां आकर नंदन कानन का परिदर्शन किया हैं ।पूर्ब में 29 अप्रैल 2013 को दुमका के राजभवन में बांग्ला भाषा व संस्कृति रक्षा समिति के प्रदेश सचिव गौतम चटर्जी ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी से मिलकर नंदन कानन का 3 एकड़ 19 डिसमिल जमीन को धरोहर घोषित कराने की मांग किया हैं ।बर्ष 1855 में इस छेत्र में महाजनी शोषण, रेल लाईन निर्माण के अंग्रेज ठीकेदार के महिलाओं पर अत्याचार एबं भूमि राजस्व की बेतहाशा बृद्धि के बिरोध में आंदोलन हुई थी ।संताल बिद्रोह के नाम से ख्यात उस बिद्रोह के समापन के बाद उसी बर्ष अंग्रेज सरकार बीरभूम जिला को खंडित कर संताल परगना स्वतंत्र जिला घोषित किया था ।उस समय यहां हैजा, प्लेग महामारी का रूप ले लिया था ।पंडित जी कोलकाता के चहलपहल को त्याग कर1873 को यहां आकर सेबा कार्य शुरू किये थे ।नंदन कानन में रहकर 18 साल यहां लोगो का निशुल्क होमिओपेथी चिकित्सा, रात्रि पाठशाला चलाते थे।बर्ष1891 में 71 बर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया हैं।उस समय यहां इलाका बंगाल प्रोविंस के अधीन था ।बर्ष 1911 में बिहार राज्य का गठन होने के बाद बिहार बंगाली समिति ने उस महान बिभूति के बिशाल कर्मकांड को संजोये रखने का पहल शुरू किया था ।बिहार के मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर ने नंदन कानन को उद्धार करने 15 हजार रुपये आर्थिक मदद दिये थे। बिहार बंगाली समिति ने 9 हजार रुपये चंदा संग्रह कर उस जमीन को कुल 24 हजार में उस जमीन को लेकर सेबा कार्य शुरू किये थे ।बिहार बंगाली समिति ने यहां बर्ष1975 में विद्यासागर बालिका विद्यालय स्थापित किया था । बर्ष 1978 में शिक्षा मंत्री गुलाम सरोबार उस बिद्यालय के वित्तरहित बिद्यालय के रूप में स्वीकृति दिये थे । 30 मार्च 2014 को विद्यासागर स्मृति रक्षा समिति यहां बिद्यालय संचालन बंद कर दिया हैं । राज्य सरकार के पूर्ब मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यहां कर्माटाड़ प्रखंड स्थापित कर उस प्रखंड के विद्यासागर प्रखंड नामकरण किया हैं ।इससे पूर्ब केंद्रीय रेल मंत्रालय ने कर्माटाड़ स्टेशन का विद्यासागर स्टेशन नामकरण किया हैं ।ज्ञान विज्ञान समिति ने उस स्थल को धरोहर घोषित करने के साथ स्कूली पाठ्यक्रम में विद्यासागर के जीवनी को शामिल कराने की मांग किया है ।
गौतम चटर्जी ग्राम समाचार रानीश्वर, दुमका।
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