राजभवन रांची के प्रवेश द्वार |
ग्राम समाचार, दुमका।विधानसभा उप निर्वाचन में संताली भाषा का लिपि चुनावी मुद्दा बनेगा । भाजपा नीत पूर्व सरकार ने यहां राज्य के सरकारी कार्यालयों में हिंदी के साथ ओलचिकी लिपि में लेखन कराया है। दुमका के उपायुक्त कार्यालय, अनुमंडल कार्यालय, पुलिस अधीक्षक कार्यालय के साथ सभी प्रखंड के विकास कार्यालयों में विधानसभा निर्वाचन के पूर्व अलचिकी लिपि में कार्यालय का नाम लिखाया हैं ।शिकारीपाड़ा विधानसभा के विधायक सह पूर्व कृषि मंत्री नलिन सोरेन ने रोमन लिपि में संथाली भाषा का प्रयोग करने का मांग किया है। उस मांग के बिरोध में आदिबासी सेंगेल अभियान के कार्यकर्ताओं ने प्रमंडल छेत्र में श्री सोरेन का पुतला दाहन कर रहा हैं ।संताली लेंग्वेज एन्ड कल्चर संगठन के जिला अध्यक्ष बर्नबास भूषण किस्कु ने श्री सोरेन के सुर में सुर मिलाकर रोमन लिपि में संताली भाषा का प्रयोग करने पर बल दिया हैं ।संताली भाषा के स्कलर काली दास मुर्मू ने उस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर बताया है कि संताली लेंग्वेज एन्ड कल्चर के अध्यक्ष को संताली भाषा एवं उस भाषा के लिपि को लेकर गैर जिम्मेदार बयान देने से सतर्क रहना चाहिये । केन्द्र सरकार ने बर्ष 2005 में संताली भाषा को आठवीं सूची में शामिल किया हैं । उसी समय अलचिकी लिपि को मान्यता दिया हैं । भाषाओं पर कार्य करनेबाले देश के सर्वोच्च संस्थान भारती भाषा संस्थान मैसूर ने अलचिकी लिपि को ही संताली भाषा की लिपि के रूप में मान्यता दिया हैं। उस संस्थान ने एक दशक से अलचिकी लिपि में सरकार के अधिसूचना को अनुवाद करते आरहा है । पश्चिम बंगाल एबं ओडिसा राज्य में सरकारी स्कूलों में छात्रों को अलचिकी लिपि में संताली भाषा की पठन पाठन कराया जाता हैं । श्री मुर्मू के अनुसार रोमन लिपि की प्रयोग की मांग कर उस भाषा के विकास में बाधा उत्पन्न किया जारहा हैं ,उन्होंने संताली भाषा की शिक्षक नियुक्ति के साथ सरकार के अधिसूचना को अलचिकी लिपि में अनुवाद कर प्रसारित करने की मांग किया है ।
गौतम चटर्जी, ग्राम समाचार, रानीश्वर(दुमका)
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