ग्राम समाचार, पाकुड़। महेशपुर सीएचसी महेशपुर में शुक्रवार को 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक चलने वाले झारखंड मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण माह तथा 1 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक चलने वाले सघन डायरीया नियंत्रण पखवाड़ा के सफल क्रियान्वयन को लेकर सीएचसी प्रभारी डा0 नवल कुमार के अध्यक्षता में एएनएम, बिटीटी सहियासाथी, सिएचओ के लिए प्रशिक्षण का कार्यकय का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में हैल्थ एजुकेटर नीलम सरिता खालको, लेखा पाल प्रबंधक शैलेश कुमार एवं राजेश रंजन भी उपस्थित थे। प्रशिक्षण में प्रतिभागी एएनएम, बिटीटी, सहियासाथी एवं सीएचओ को 1 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक चलने वाले झारखंड मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण माह के तहत नियमित टीकाकरण के दिन 9 माह से 5 वर्षो के शिशुओं के विटामिन ए की शिरप देने के बारे में तथा शून्य से पांच वर्ष बच्चों का सैम स्क्रीनिंग करने सहित अन्य जानकारी उपलब्ध कराई गई। साथ ही 1 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक चलने वाले सघन डायरीया नियंत्रण पखवाड़ा के तहत बताया गया कि डायरीया से बच्चे सबसे अधिक प्रभावित रहते हैं। अतः इस कार्यक्रम के तहत शून्य से पांच वर्षों के बीच ओआरएस एवं जिंक का वितरण करना है। तथा डायरीया से पीड़ित बच्चों का उचित इलाज समय पर कराना सुनिश्चित किया जाना है। ताकि डायरीया से होने वाली मृत्यु को शून्य स्तर पर लाया जा सकें।
Pakur News: महेशपुर सीएचसी में झारखंड मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण माह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
ग्राम समाचार, पाकुड़। महेशपुर सीएचसी महेशपुर में शुक्रवार को 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक चलने वाले झारखंड मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण माह तथा 1 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक चलने वाले सघन डायरीया नियंत्रण पखवाड़ा के सफल क्रियान्वयन को लेकर सीएचसी प्रभारी डा0 नवल कुमार के अध्यक्षता में एएनएम, बिटीटी सहियासाथी, सिएचओ के लिए प्रशिक्षण का कार्यकय का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में हैल्थ एजुकेटर नीलम सरिता खालको, लेखा पाल प्रबंधक शैलेश कुमार एवं राजेश रंजन भी उपस्थित थे। प्रशिक्षण में प्रतिभागी एएनएम, बिटीटी, सहियासाथी एवं सीएचओ को 1 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक चलने वाले झारखंड मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण माह के तहत नियमित टीकाकरण के दिन 9 माह से 5 वर्षो के शिशुओं के विटामिन ए की शिरप देने के बारे में तथा शून्य से पांच वर्ष बच्चों का सैम स्क्रीनिंग करने सहित अन्य जानकारी उपलब्ध कराई गई। साथ ही 1 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक चलने वाले सघन डायरीया नियंत्रण पखवाड़ा के तहत बताया गया कि डायरीया से बच्चे सबसे अधिक प्रभावित रहते हैं। अतः इस कार्यक्रम के तहत शून्य से पांच वर्षों के बीच ओआरएस एवं जिंक का वितरण करना है। तथा डायरीया से पीड़ित बच्चों का उचित इलाज समय पर कराना सुनिश्चित किया जाना है। ताकि डायरीया से होने वाली मृत्यु को शून्य स्तर पर लाया जा सकें।
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