इनेलो प्रवक्ता रजवन्त डहीनवाल ने प्रेस नोट जारी करते हुए पिपली (कुरुक्षेत्र) में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की भर्त्सना की ओर कहा कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपने अधिकारों के लिए विरोध करने का हक है। किसान, आढ़ती व मजदूरों ने सभा के माध्यम से विरोध दर्ज कराना चाहते थे व सरकार तक अपनी बात पहुँचना चाहते थे। लेकिन इस बीजेपी जेजेपी गठबंधन की सरकार ने किसानों पर लाठीचार्ज किया ताकि वो एकजुट होकर सरकार द्वारा लाये तीन अध्यादेश जो कि किसानों के लिए एक काला कानून उसका विरोध न कर सके। सरकार का ये कदम बेहद निंदनीय व शर्मनाक है। सरकार को किसानों से मिलकर 3 अध्यादेश में कमी को सुनना चाहिए था लेकिन ऐसा न कर के इस कदम से बीजेपी के साथ साथ जेजेपी का भी असली किसान विरोधी चेहरा सामने आ गया। डहीनवाल ने बताया कि पीपली में किसान शांतिपूर्ण तरीके से एक जनसभा के माध्यम से अपनी बात सरकार के सामने रखना चाहता थे। प्रदेश की तानाशाह गठबंधन सरकार किसानों पर लाठीचार्ज करके उन्हें रोकने का प्रयास किया गया। जिसमें अनेको किसान घायल हुए उन पर आईपीसी की धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। आज एक बार फिर किसान विरोधी गठबंधन सरकार का असली चेहरा सामने आया है। इसका खामियाजा इस सरकार को भुगतना पड़ेगा। इनेलो प्रवक्ता ने बताया की 3 अध्यादेश के कारण किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत कंपनी के अनुसार फसल का उत्पादन तो करेगा लेकिन उस पर एमएसपी निर्धारित नही किया जाना बिल्कुल गलत है क्योंकि एमएसपी किसानों को सुरक्षा की गारण्टी देती है । लेकिन अब सरकार उस से पल्ला झाड़ने कर जिम्मेदारी से बचने का काम रही है। पहले भी व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे, उसको रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 बनाया गया था। जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी। अब इस नए अध्यादेश के तहत आलू, प्याज़, दलहन, तिलहन व तेल के भंडारण आदि पर लगी रोक को हटा लिया गया है। जिससे कालाबाजारी बढ़ेगी तो निश्चित तौर पर महंगाई भी बढ़ेगी जिसकी मार एक बार फिर गरीब व मध्यमवर्गीय परिवार के जीवन यापन के लिए बड़ा संकट पैदा कर देगा। किसान इसलिए इस अधिनियम के विरोध में है। इस अध्यादेश के अनुसार अगर कंपनी व किसानों के बीच किसी भी तरह का विवाद हो गया तो किसान को कोर्ट में जाने का भी कोई अधिकार भी नही है। इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा जिसमें बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ खेती करेंगी और किसान उसमें सिर्फ मजदूरी करेंगे। इस नए अध्यादेश के तहत किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बन के रह जायेगा। सरकार यह बात भूल जाती है कि हमारे किसानों की तुलना विदेशी किसानों से नहीं हो सकती क्योंकि हमारे यहां भूमि-जनसंख्या अनुपात पश्चिमी देशों से अलग है और हमारे यहां खेती-किसानी जीवनयापन करने का साधन है वहीं पश्चिमी देशों में यह व्यवसाय है।आज देश का किसान अपने आप को इस 3 अध्यादेश के आने से असुरक्षित महसूस कर रहा ओर वो अपनी बात सरकार के समक्ष रखना चाहता था इसलिए सरकार को इस खामियों वाले अध्यादेश को निरस्त करने चाहिए । लेकिन इस सरकार में किसी की सुनवाई नही हो पा रही क्योंकि आज बीजेपी जेजेपी गठबंधन के मंत्री नेता सत्ता के नशे में चूर है। जो कि आये दिन नए नए घोटाले करने में व्यस्त है आमजन व किसानों की समस्याओं से इनको कोई लेना देना नही । असल मे अगर आज कोई मजदूर ,कमेरे ,व्यापारियो महिलाओं आदि की समस्या को उठाने वाला है तो वो चौ अभय चौटाला है जोकि असल मे विपक्ष का काम कर रहा है वरना कांग्रेस व उसके नेता तो कोरोना के डर से अपने घरों में छिपे बैठे है जिनको जनता की समस्याओं से कोई लेना देना नही।
Home
Haryana
Rewari
Rewari News : तीनों अध्यादेश किसानों के लिए काला कानून, किसानों पर लाठीचार्ज कर उनकी आवाज को दबाना चाहती है सरकार : डहीनवाल
- Blogger Comment
- Facebook Comment
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें
(
Atom
)
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें