ग्राम समाचार, भागलपुर। बिहार राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश महासचिव डॉ चक्रपाणि हिमांशु ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन का समर्थन राष्ट्रीय जनता दल करती है। नए कृषि कानून किसान विरोधी है। सरकार इस कानून को अविलंब वापस ले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कहे जाना की कृषि कानूनों से किसानों को मिलेंगे नए अधिकार और अवसर यह बिल्कुल ही गलत है। नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में किसानों की आत्महत्या काफी बढ़ी है। देश में लगभग 6 साल के कार्यकाल में तीन हजार किसानों ने आत्महत्या किया है। किसानों को मिलने वाले समर्थन मूल्य हवा हवाई है। किसानों का उपज का दाम किसान एवं सरकार के बीच बैठकर तय करें। किसानों की विडंबना है कि खेती अच्छी हो या खराब उसके हिस्से में आंसू और तकलीफ ही आती है। केंद्र सरकार किसानों की बदहाली के प्रति और असंवेदनशील सरकार है। केंद्र एवं राज्य सरकार को परवाह नहीं है। किसानों की भारत में पूंजीवाद के बढ़ते कदम में किसानों का जीना मुश्किल हो गया है। उत्पादन में उद्योग धंधे और पूंजी का महत्व बढ़ता जाएगा। वैसे किसानों की हालत बिगड़ती जाएगी। मोदी राज में कृषि लोन लेने वाले किसानों को जेल एवं अमीरों के लगभग 10 लाख करोड़ रुपये कर्ज माफ हुए। जिसके कारण गरीब अमीर के बीच बढ़ती खाई दिखाई पड़ती है। भारतवर्ष भूखा है जिसके कारण 100 में से 69 बच्चे कुपोषण के कारण मरते हैं। यूनिसेफ ने कहा कि सरकार किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा छुपा रही है। किसानों को सरकार सब्सिडी का झुनझुना है। किसान एवं मजदूर को मनरेगा में रोजगार नहीं मिल रहा है। इससे देश की असली आज़ादी किसानों एवं मजदूरों की आर्थिक शिक्षा स्वास्थ्य एवं अन्य चीजों को ठीक नहीं होगा तब तक आजादी मात्र रह कर रह जाएगी। केंद्र एवं राज्य सरकार झूठी घोषणाएं कर जनता को गुमराह कर रही है इसका उदाहरण इस प्रकार है। धान का समर्थन मूल्य 1888 और बिक रहा है ग्यारह सौ रुपए, मक्का का समर्थन मूल्य ₹1900 और बिक रहा है ₹1000, गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये और बिक रहा है 1400 रुपया। इससे बड़ा सुशासन सरकार के लिए आईना क्या होगा इसके खिलाफ में आंदोलन चलाया जाएगा।
Bhagalpur news:मोदी सरकार में बढ़ी किसानों के आत्महत्या की दर – चक्रपाणि
ग्राम समाचार, भागलपुर। बिहार राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश महासचिव डॉ चक्रपाणि हिमांशु ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन का समर्थन राष्ट्रीय जनता दल करती है। नए कृषि कानून किसान विरोधी है। सरकार इस कानून को अविलंब वापस ले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कहे जाना की कृषि कानूनों से किसानों को मिलेंगे नए अधिकार और अवसर यह बिल्कुल ही गलत है। नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में किसानों की आत्महत्या काफी बढ़ी है। देश में लगभग 6 साल के कार्यकाल में तीन हजार किसानों ने आत्महत्या किया है। किसानों को मिलने वाले समर्थन मूल्य हवा हवाई है। किसानों का उपज का दाम किसान एवं सरकार के बीच बैठकर तय करें। किसानों की विडंबना है कि खेती अच्छी हो या खराब उसके हिस्से में आंसू और तकलीफ ही आती है। केंद्र सरकार किसानों की बदहाली के प्रति और असंवेदनशील सरकार है। केंद्र एवं राज्य सरकार को परवाह नहीं है। किसानों की भारत में पूंजीवाद के बढ़ते कदम में किसानों का जीना मुश्किल हो गया है। उत्पादन में उद्योग धंधे और पूंजी का महत्व बढ़ता जाएगा। वैसे किसानों की हालत बिगड़ती जाएगी। मोदी राज में कृषि लोन लेने वाले किसानों को जेल एवं अमीरों के लगभग 10 लाख करोड़ रुपये कर्ज माफ हुए। जिसके कारण गरीब अमीर के बीच बढ़ती खाई दिखाई पड़ती है। भारतवर्ष भूखा है जिसके कारण 100 में से 69 बच्चे कुपोषण के कारण मरते हैं। यूनिसेफ ने कहा कि सरकार किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा छुपा रही है। किसानों को सरकार सब्सिडी का झुनझुना है। किसान एवं मजदूर को मनरेगा में रोजगार नहीं मिल रहा है। इससे देश की असली आज़ादी किसानों एवं मजदूरों की आर्थिक शिक्षा स्वास्थ्य एवं अन्य चीजों को ठीक नहीं होगा तब तक आजादी मात्र रह कर रह जाएगी। केंद्र एवं राज्य सरकार झूठी घोषणाएं कर जनता को गुमराह कर रही है इसका उदाहरण इस प्रकार है। धान का समर्थन मूल्य 1888 और बिक रहा है ग्यारह सौ रुपए, मक्का का समर्थन मूल्य ₹1900 और बिक रहा है ₹1000, गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये और बिक रहा है 1400 रुपया। इससे बड़ा सुशासन सरकार के लिए आईना क्या होगा इसके खिलाफ में आंदोलन चलाया जाएगा।
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