रेवाड़ी, 25 नवंबर। डीसी यशेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में आज जिला सचिवालय में जिला अंधता निवारण समिति की बैठक हुई, जिसमें सीएमओ डॉ सुशील माही, एसएमओ डॉ विजय प्रकाश, डॉ दीपक, डॉ कंचन, डॉ सर्वजीत थापर, आईएमए के प्रधान डॉ एके सैनी सहित अन्य संबंधित अधिकारी भी उपस्थित रहें।
उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने कहा कि बुजुर्ग लोगों के मोतियाबिंद के आपरेशन का कार्य शुरू करें तथा बच्चों में जो अंधता के कारण है, उसके प्रचार-प्रसार के लिए लोगों को जागरूक करें। डीसी ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जानकारी नहीं हो पाती है कि वह मोतियाबिंद से ग्रसित है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों की आंखे कमजोर है, उनके टैस्ट करें तथा जिनके माता-पिता बच्चों के चश्में खरीदने में अस्मर्थ है उन्हें नि:शुल्क चश्में प्रदान करें।
बैठक में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ कंचन ने बताया कि बच्चों में अंधता के मुख्य रूप से तीन कारण होते है जिनमें कुपोषण, अधिक स्क्रीन देखना व आंखों की साफ-सफाई न होने कारण यह रोग बच्चों में होता है। उन्होंने बताया कि बढ़ती उम्र के साथ होने वाली आंखों की सबसे सामान्य समस्या मोतियाबिंद हैं क्योकि इस समय आंखों की मांसपेशियाँ कमजोर होती जाती हैं और उनका लचीलापन भी कम हो जाता हैं। इससे व्यक्ति के देखने की क्षमता कम हो जाती हैं और व्यक्ति को धुंधला दिखाई देने लगता हैं। जिससे निपटने के लिए विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन किए जाते है। डॉक्टर ने बताया कि मोतियाबिंद की समस्या 45 साल के बाद लोगों में पायी जाती है।
बच्चों की दृष्टि संबंधी समस्याएं एवं आँखों की देखभाल के टिप्स : डॉ कंचन ने बताया कि आंखें, हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण, नाजुक और संवेदनशील अंग है। सुबह सो कर उठने से लेकर रात को सोने तक ये बिना रूके और बिना थके लगातार काम करती रहती हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि नवजात शिशुओं से लेकर किशोर उम्र के बच्चों के माता-पिता उनकी आंखों के स्वास्थ को लेकर कोई लापरवाही न बरतें। उन्होंने बताया कि नवजात शिशु की आंखों में किसी तरह की समस्या जैसे पलकों में सूजन, आंखों से पानी आना, आंसुओं की नली का बंद होना आदि का सही समय पर केवल दवाईयों से उपचार के द्वारा ठीक किया जा सकता है।
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