डॉ.अंबेडकर ने संविधान सभा में यह चेतावनी दी थी कि राजनीतिक लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता आवश्यक है इसके अभाव में राजनीतिक लोकतंत्र का हनन हो जाएगा।संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान की रचना दिसंबर 1946 नवंबर 1949 के दौरान की गई थी संविधान का यह एक साथ कई उद्देश्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी थी इसमें सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक क्रांति बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति करना था ।जब हम संविधान और उसके द्वारा लगाए गए सामाजिक परिवर्तन की बात करते हैं उसमें 1949 को अपने मूल संविधान के साथ किए गए संशोधनों को संसद एवं राज्य हमारे संविधान से शासन व्यवस्था को चलाने का एक कानूनी दस्तावेज ही नहीं है बल्कि यह हमारे लक्ष्य मूल्य एवं आदर्शों को भी दर्शाता है ।
भारतीय संविधान के लागू होने के बाद से अनेक परिवर्तन हुए। सामाजिक और आर्थिक क्रांति की दिशा में एक पहल थी-गरीबी उन्मूलन।समान वेतन वृद्धा पेंशन दिव्य ज्ञान के लिए योजनाएं जैसे अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए देश की आधी आबादी महिलाओं की है सदियों से महिलाओं को समाज में लिंग भेद का सामना करना पड़ा है।आजादी के बाद महिलाओं को संगीत मताधिकार का अधिकार मिला इसी अधिकार के लिए पश्चिमी देशों की महिलाओं को लंबा संघर्ष करना पड़ा था। संविधान में 73 एवं 74 वें संशोधन को लाकर महिलाओं को पंचायतों एवं स्थानीय निकायों में आरक्षण देकर उनको सशक्त बनाने का प्रयास किया गया।आरक्षण का प्रावधान करके आदिवासी पिछड़े एवं दलित समुदाय के लोगों को सामाजिक न्याय दिलाने का भी कार्य किया गया मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की व्यवस्था से मुक्ति सहित अनेकों लोक कल्याणकारी योजनाए लागू की गई जो सामाजिक क्रांति को बढ़ावा देती है। कश्मीर से धारा 370 हटाकर देश की एकता अखंडता और संप्रभुता को मजबूत करने का अथक प्रयास किया गया ।
आज के कार्यक्रम में डॉ संतोष कुमार चौधरी, डॉ ज्योति कुमार सिंह,डॉ.संतोष कुमार चौधरी, प्रो मिथिलेश कुमार,प्रो सेंट फ्रांसिस मुर्मू,एनएसएस वॉलिंटियर्स आकाश तिवारी,आदर्श कुमार,विनय टुडू आकांक्षा,दीपांजलि,साहिल,मनीषा,संजय,रोहित सहित महाविद्यालय के अनेकों छात्र छात्राएं उपस्थित थे।
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