Rohtak News : भारतीय संविधान : 21वीं सदी में भारत के विकास का दस्तावेज’ विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस का आयोजन

 


ग्राम समाचार न्यूज : रोहतक, 3 दिसम्बर। द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय द्वारा ‘भारतीय संविधान : 21वीं सदी में भारत के विकास का दस्तावेज’ विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस अवसपर निदेशक प्रो. भूप सिंह गौड़ ने कहा कि संविधान दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है और इसे महाविद्यालय का समाज शास्त्र विभाग, एस.सी, एस.टी. सैल और एनसीसी के संयुक्त तत्वावधान में मनाया जा रहा है। इसमें संविधान को जानो नामक विषय पर प्रश्रोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. पूजा खुल्लर ने कहा कि भारतीय संविधान के कारण जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया है और छात्रों और अध्यापकों को इसके प्रावधानों के बारे में जानने का आह्वान किया। कांफ्रेंस के मुख्य अतिथि के तौर पर थैम्ससेल विश्वािलय के प्रोफेसर प्रो. भारत दहिया ने कहा कि भारतीय संविधान लागू हाने के बाद सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षणिक क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव आये हैं और भारत ने वैश्विक स्तर पर हर क्षेत्र में पहचान बनाई है। उन्होंने तकनीकी स्तर पर भारत की उन्नति, व्यक्तित्व और वैश्विक पहचान के साथ समावेशी और जिम्मेदार प्रशासन और सरकार को भारत की उन्नति के लिये आवश्यक बताया।

भारतीय समाज शास्त्र परिषद् के सदस्य प्रो. एस. गुरूसेमी ने कहा कि भारतीय संविधान एक श्रेष्ठ ग्रन्थ है और इसमें दिये गये प्रावधानों के कारण आज समाज के एस.सी., एस.टी., ओ.बी.सी., पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकार मिले हैं और उन्होंने डॉ. अम्बेडकर के योगदान की प्रशंसा की। डॉ. सुभाष ने स्वतंत्रता, बंधुत्व की भावना और समानता को संविधान का मूल सार बताया और संविधान के पाठ पढ़े। भारतीय संविधान रूपान्तरण का एक जीवित दस्तावेज नामक विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे इंदिरा गांधी ओपन विश्वविद्यालय के प्रो. प्रमोद मेहरा ने कहा कि संविधान दिवस लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व है और विपरीत परिस्थितियों से लडक़र श्रेष्ठ संविधान प्रदान करने के लिये हमें डॉ. अम्बेडकर का कृतज्ञ होना चाहिये। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की प्रो. शालिनी सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान के कारण भारतीय नागरिकों की मानसिकता बदली है जो पहले परम्पराओं, जातीय, धार्मिक परिस्थितियों से संचालित होती थी वह अब संवैधानिक मूल्यों के आधार पर हो रही है। देहली विश्वविद्यालय के प्रो. संजीव कुमार ने कहा कि न्याय का समाज और वैज्ञानिक मूल्यों पर आधारित समाज संविधान के प्रदत्त मूल्यों के आधार पर सम्भव है। जामिया विश्वविद्यालय की प्रो. पूजा पासवान ने महिला उत्थान में संविधान की तथा यूएनओ के विभिन्न प्रस्तावों की भूमिका के बारे में बताया तथा कहा कि वैमन्स्य आधारित समाजीकरण और व्यवहार तरक्की के रास्तों तथा देश के विकास में बाधक है।

हिमाचल प्रदेश के प्रो. मोहित स्तारिया ने अनुसूचित जनजाति के उत्थान में संवैधानिक प्रावधानों की उल्लेखनीय भूमिका के बारे में बताया और उनके विकास के बिना देश का विकास बेमानी होगा। हजरस के प्रधान डॉ. दिनेश निम्बडिय़ा ने कहा कि संविधान में दिये गये अवसर की समानता के अधिकार के कारण समाज के हाशिये पर खड़े नागरिक तरक्की के रास्ते पर हैं और निजी क्षेत्र में आरक्षण व्यवस्था जरूरी है। डॉ. मनोज दहिया ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना को जानना और इसमें दिये शब्दों का अर्थ समझना जरूरी है। यह भारतीय संविधान की आत्मा है और सरकार चलाने के लिये पथ प्रदर्शक है। पंजाब विश्वविद्यालय के डॉ. अजय रंगा ने संविधान और शिक्षा तथा डॉ. अनुपम बाहरी ने संविधान लागू होने के बाद शामिल किये गए प्रावधानों और कानूनों पर प्रकाश डाला। 

समापन पत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय के प्रो. प्रमोद मिश्रा ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने विपरीत परिस्थितियों से लडक़र संविधान में मौलिक अधिकारों के रूप में जो आकाशदीप रखे हैं उन्हें जानना जरूरी है। उन्होंने समाज के हर वर्ग के बारे में पूछा और वर्तमान सरकार अंतिम छोर पर बैठे नागरिक हितों की रक्षा के प्रति उदासीन है। समापन सत्र में जेएनयू के प्रो. नरेन्द्र कुमार ने कहा कि राजनीतिक लोकतंत्र और समानता स्थापित हो चुकी है लेकिन सामाजिक-आर्थिक समानता अभी भी स्वपन है और सामाजिक आर्थिक समानता राजनीतिक लोकतंत्र का आधार है। उन्होंने संवैधानिक नैतिकता और संविधान पर मंडरा रहे खतरों का जिक्र किया। कार्यक्रम के अंत में प्रो. भूप सिंह ने संवैधानिक प्रस्तावना की पालना करने के लिये सभी को शपथ दिलवाई। समाजशास्त्र के प्राध्यापक सचिन ने सभी का धन्यवाद किया। महाविद्यालय की टैक्रिकल टीम अल्का मलिक, उर्मिला, सोनिका, डॉ. सुनीता, आशा, रेणू, सचिन, डॉ. सुभाष, नताशा, डॉ. सुशील, ज्योति सिंह, नम्रता, सतपाल, उपप्राचार्य डॉ. मिनाक्षी गिरी, डॉ. मूलचंद ने इस आयोजन में अहम भूमिका निभाई। कांफ्रेंस जय संविधान, जय भारत, जय भीम के उदघोष के साथ समापन हुआ।

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Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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