Bhagalpur News:पूर्व मंत्री सह बिहार कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के निधन पर शोक सभा आयोजित
ग्राम समाचार, भागलपुर। प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक, पुर्व मंत्री व तारापुर विधायक डॉ (प्रो) मेवालाल चौधरी के असामयिक निधन को लेकर सोमवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने शोकसभा का आयोजन किया गया जिसमें विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने मृत आत्मा की शान्ति के लिए भगवान से प्रार्थना की। रविन्द्र कुमार सोहाने, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर सहित पूरा विश्वविद्यालय परिवार ने डा. चौधरी के असामयिक निधन पर गहरा दुःख प्रकट करते हुए पुनीत आत्मा के चिर शान्ति की कामना की। इस मौके पर कुलपति ने कहा कि बिहार विधानसभा के सदस्य तथा बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के संस्थापक कुलपति रहे विश्वविख्यात कृषि वैज्ञानिक डा. मेवालाल चौधरी के असामयिक निधन से पूरा विश्वविद्यालय परिवार मर्माहत है। डा. चौधरी के निधन से बिहार के कृषि जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके द्वारा कृषि शिक्षा, शोध एवं प्रसार के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय एवं नवाचारी कार्यों से बिहार राज्य को राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय परिवार, परम पिता परमेश्वर से दिवंगत आत्मा को परम शान्ति प्रदान करने की कामना करता है। साथ ही शोकसंतप्त परिवार को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता है। डा. मेवालाल चौधरी मूलतः तारापुर, मुंगेर के निवासी थे, जो स्थापना वर्ष 2010 से वर्ष 2015 तक बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति रहे। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से सेवानिवृत कृषि वैज्ञानिक डॉ मेवालाल चौधरी का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। इनकी उच्च शिक्षा बीएचयू, पंतनगर, पूसा जैसे राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों से हुई। इन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, जिसको पुसा संस्थान के नाम से भी जाना जाता है, में प्रधान वैज्ञानिक के तोर पर कार्य किया। तत्पश्चात, इनकी वैज्ञानिक कार्यकुशलता को देखते हुए इन्हें भारतीय उद्यान शोध संस्थान, बंगलौर के निदेशकतत्पश्चात अपनी निखरती प्रतिभा के बदौलत इन्होंने अपनी जगह भारत सरकार में बतौर हॉर्टिकल्चर कमिश्नर पद पर बनाई। अपने कार्यकाल में इन्होंने कई योजना जैसे राष्ट्रीय हॉर्टिकल्चर मिशन, राष्ट्रीय बम्बू मिशन इत्यादि जैसे परियोजना का शुरुवात व सफलतापूर्वक क्रियान्वन किया। ये कोकोनट बोर्ड, कॉफे बोर्ड के चेयरमैन भी रहे। बतौर वैज्ञानिक के तोर पर इजरायल में भी काम करने का मोका मिला। इनके इस अनुभव के कारण राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय में बतौर कुलपति तथा बिहार कृषि विश्वविद्यालय का फाउंडर कुलपति बनाया गया। इन्होंने इस पद पर रहते हुए कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारक परिवर्तन के आधारशिला रखी। अल्प अवधि में बिहार कृषि विश्वविद्यालय का नाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लिया जाने लगा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने भी इस उपलब्धि के लिए विशेष प्रशंसा की। इन्होंने विश्वविद्यालय में आधारभूत संरचना का निर्माण व राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शोध परियोजनाओं पर बल दिया, जिसके कारण सबसे ज्यादा परियोजना चलाने वाला कृषि विश्वविधालय बना, जिसमें यहां के युवा वैज्ञानिक का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इसके अलावे डॉ चौधरी इंडियन एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी एसोसिएशन जिसमे कि भारतवर्ष के सभी कृषि विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर मेंबर होते हैं, के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।
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