ग्राम समाचार जामताड़ा:
कोरोना महामारी मे पत्रकारों की अहम भूमिका को कम आंकने की भूल सरकार को महंगी पड़ सकती है। आज राज्य के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के हर पत्रकार सरकार से एक ही सवाल पूछ रहे हैं, कि झारखंड में पत्रकारों को आखिर कबतक न्याय मिलेगा। कोरोना संक्रमण के चलते जिले के आशुतोष चौधरी, एवं जुगलकिशोर यादव सहित राज्य के कई पत्रकारों ने अपनी जान गंवा चुके है। झारखंड की वर्तमान सरकार उनके ऊपर ध्यान नही दे रही है और ना ही उनके प्रति कोई संवेदना जता रही है। पहली मई को एआईएसएम संगठन के बैनर तले सूबे के पत्रकारों ने काला बिल्ला लगा कर विरोध प्रदर्शन किया था कि उड़ीसा, बिहार, पक्षिम बंगाल सरकार की तर्ज पर झारखंड सरकार भी पत्रकारों को फ्रंट लाइन वॉरियर्स घोषित कर सारी सुविधाएँ देने के साथ साथ कोरोना संक्रमण काल मे पत्रकारों के आश्रितों को आर्थिक सहायता के साथ उनके परिवार कोरोना घोषणा वेक्सीन दिलाने की दिशा मे जल्द पहल करें। सरकार के मंत्री रामेश्वर उरांव ने भी बयान जारी कर माननीय मुख्य मंत्री से अन्य राज्यों की तरह सुविधा प्रदन करने की बात कही है, फिर भी अलग झारखंड बनाने वाले मननिय गुरुजी के पुत्र हेमन्त सोरेन जी वर्तमान झारखंड के मुखिया द्वारा पत्र कारों के कुछ नही कहना दुर्भाग्य पूर्ण है।एआईएसएम के जामताड़ जिला ग्रामीण अध्यक्ष शिरोमणि यादव ने फतेहपुर- नाला के मनोज मिश्रा, बासुदेव झा, जगरनाथ बाउरी, विवेक आनंद, इंद्रजीत यादव, राजेश चौधरी, उत्तम झा, कार्तिक झा, हिरेन सिंह,बिधान साधू, सहित सभी पत्रकारों के साथ विचारो परांत निर्णय लिया कि सरकार जबतक हमारी मांग नही मानती है तबतक संघर्ष जारी रखेंगें।
- विवेक आनंद, ब्यूरो रिपोर्ट, ग्राम समाचार जामताड़ा.
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