रेवाडी। रेवाडी में केवल गिने चुने अस्पतालों को छोडकर अन्य नीजी अस्पताल कोरोना संक्रमित लोगों को बिना प्रशासन की अनुमति के भर्ती नही करने वाले प्रशासन के निणर्य को पूर्व मंत्री कैप्टेन अजय सिंह यादव ने सही नही ठहराया है। यादव ने कहा कि रेवाडी में हाहाकार मचा हुआ है। अस्पतालों में जगह नही है, आक्सीजन नही है, वेंटिलेटर नही हैं, रोजाना बेकसूरों की जान जा रही है। एसे में प्रशासन द्वारा यह निणर्य लेना बिल्कुल समझ से परे है। क्योंकि दिन प्रतिदिन कोरोनो के मरीजों में ईजाफा होता जा रहा है। ये अस्पताल सभी भरे हुए हैं, एसे में यदि कोई एमेरजेंसी में किसी भी अस्पताल में जाकर अपनी जान बचाना चाहता है तो प्रशासन को इसमें आपत्ती नही होनी चाहिए। पहले ही लोगों का जीना दुर्भर हो रहा है ऐसे में यह निणर्य तो न जाने कितने बेकसूरों की जान ले लेगा। इसलिए प्रशासन को यह निणर्य तुरंत वापिस लेना चाहिए ताकि लोग समय पर अस्पताल पंहूचकर अपनी जान बचा सके।
Rewari News : अस्पतालों में जगह नही, आक्सीजन नही, वेंटिलेटर नही, रोजाना जा रही जान : कैप्टन अजय
वहीं रेवाडी के नागरिक अस्पताल में 70 लाख की लागत से बनने वाले ऑक्सीजन प्लांट की प्रशंसा करते हुए कैप्टेन अजय सिंह ने कहा कि देर आए पर दुरूस्त आए। यदि यह प्लांट पहले बना लिया होता आज इतने लोगों की जान नही जाती। वहीं अब भी देखो प्रशासन यह प्लांट कब बनाता है। क्यों कि फिलहाल रेवाडी में ऑक्सीजन की बहूत किल्लत है, ऐसे में जितनी जल्दी ऑक्सीजन प्लांट बने उतना ही अच्छा है। ऑक्सीजन प्ंलाट के अलावा रेवाडी में अस्थाई अस्पतालों की भी आवश्यकता है जहां पर वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सहित सभी सुविधाएं हों। कैप्टेन अजय सिंह ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि मनेठी एम्स को आज सभी याद कर रहे हैं, यदि भाजपा ने समय पर एम्स पर ध्यान दिया होता तो नतीजे कुछ ओर ही होते। इसलिए अब भी समय है कि एम्स का निमार्ण जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
इसके अलावा व्यापारियों द्वारा कोरोना संक्रमण को बढते देख अगले 3 दिन तक बाजार बंद रखने के निणर्य की सराहना करते हुए कैप्टेन अजय सिंह ने कहा कि यह निणर्य बिल्कुल सही है। क्यों कि जिस हिसाब से कोरोना के केस बढ रहे हैं, एसे में एतिहात बरतने की बहूत आवश्यकता है। सरकार के द्वारा तो बिल्कुल ध्यान नही दिया जा रहा है, ऐसे में नागरिकों को स्वंय ही अपना ध्यान रखना होगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार दावा करती रही कि देश में कोरोना संक्रमण पर काबू पा लिया गया है और कहा गया कि भारत अन्य देशों में वैक्सिन निर्यात कर रहा है। देश में वैक्सिनेशन किए बिना झूठी वाहवाही लूटने के लिए विदेशों में दवाईयां भेजी गई। वैक्सीन के अलावा ऑक्सीजन भी निर्यात किया गया, जबकि देश की वास्तविक स्थिति, मांग और जरूरत पडऩे पर व्यवस्था करने के प्रति कोई भी तैयारी नहीं की गई। 2019-20 के दौरान भारत ने करीब 4514 करोड़ रूपए की ऑक्सीन का निर्यात किया। अगर ये निर्यात नहीं होता तो आज मेडिकल, ऑक्सीजन संकट से जूझ रहे गंभीर मरीजों के इलाज के लिए महत्वपूर्ण संसाधन होता। इसी प्रकार पूरे देश के नागरिकों को वैक्सीन दिए बगैर ही विदेशों में निर्यात करने का कदम कहां तक उचित है। इसी प्रकार हरियाणा में ऑक्सीजन की भारी कमी सामने आ रही है, जबकि प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन जरूरत से ज्यादा उपलब्ध है। बावजूद इसके अस्पतालों में अगर कमी है तो इसके पीछे सरकारी लचर कार्यप्रणाली है।
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