ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- डॉ० अर्चना की मौत पर डॉक्टरों द्वारा विरोध प्रदर्शन को लेकर आपातकालीन चिकित्सा सेवा को छोड़ सदर अस्पताल, गोड्डा के आउट पेशेंट विभाग (ओपीडी) समेत सभी निजी अस्पताल एवं चिकित्सा केंद्र शनिवार को बंद रहे। राजस्थान में उनकी देखरेख में प्रसव के लिए भर्ती एक मरीज की मौत के बाद उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था। जिसके बाद पुलिस एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा उन्हें काफी प्रताड़ित किया गया था जिसके बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। जानकारी के अनुसार डॉ० राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) की पूर्व छात्रा डॉ० अर्चना शर्मा न्याय की मांग करने के बाद विफल रही और 29 मार्च को उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। उक्त मामले में पुलिस पर आत्महत्या के लिए उकसाने का संगीन आरोप है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और झारखंड हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन द्वारा शनिवार को चिकित्सकीय सेवाओं को लेकर हड़ताल का आह्वान किया था। संगठनों ने डॉ० अर्चना की मौत के विरोध में जिले के सभी डॉक्टरों से क्लीनिक, अस्पतालों और नर्सिंग होम में काम नहीं करने की अपील की थी। बताया गया कि हड़ताल को ध्यान में रखते हुए उन्होंने मरीजों के लिए आपात स्थिति में डॉक्टरों को उपलब्ध रखा हैं। इस घटना से आहत डॉक्टरों ने कहा की जब डॉक्टर्स सुरक्षित नही होंगे तो बीमार का इलाज कैसे संभव है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की झारखंड इकाई और झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन ने इस हड़ताल को लेकर पूर्व में ही सूचित किया था। इस दौरान अस्पतालों में केवल आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध रही, वही ओपीडी एवं अन्य सेवाएं पूरी तरह से बंद रहीं। कहा गया है कि जिन परिस्थितियों में डॉ० अर्चना ने सुसाइड किया, उससे साफ है कि चिकित्सकों के प्रति सरकारी तंत्र का रवैया बेहद अफसोस जनक है। डॉ० अर्चना मूल रूप से रांची की रहने वाली थीं। वह रिम्स की गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं। उनके साथ दौसा के पुलिस-प्रशासन ने जिस तरह का सलूक किया, उससे रांची का चिकित्सा जगत आहत है। आंदोलित डॉक्टरों ने झारखंड सहित पूरे राज्य में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने और चिकित्सकों को समुचित संरक्षण देने की मांग की है। इस मांग को लेकर शनिवार को गोड्डा के चिकित्सकों द्वारा फ्लैग मार्च निकाला गया। यह जुलूस आईएमए कार्यालय से निकलकर समाहरणालय पहुंचे।ज्ञात हो कि राजस्थान के दौसा में अपने पति के साथ मिलकर अस्पताल चलाने वाली डॉ० अर्चना शर्मा ने एक प्रसूता की हुई मौत के बाद हंगामे और पुलिसिया कार्रवाई से आहत होकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। इधर रिम्स के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जेडीए) ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। वहीं एसोसिएशन ने मांग की है कि राज्य सरकार डॉ० अर्चना और उनके पति पर दर्ज प्राथमिकी तत्काल वापस ले और पूरी घटना की उचित जांच की जाए। सभी चिकित्सक फ्लैग मार्च करते हुए समाहरणालय पहुंचे और अपनी माँगो को लेकर उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक के नाम एसडीपीओ को माँग पत्र सौंपा। ज्ञात हो की विशेष रूप से सदर अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन सैकड़ों से अधिक रोगियों का आना जाना लगा रहता है। विरोध में विभिन्न निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में डॉक्टरों द्वारा ओपीडी का बहिष्कार करने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस दौरान शहर के सभी गणमान्य चिकित्सक आईएमए अध्यक्ष डॉ० श्यामजी भगत, सेक्रेटेरी डॉ० प्रभा रानी प्रसाद, क़ोषाध्यक्ष डॉ० दिलीप चौधरी, डॉ० अशोक कुमार, डॉ० अजय झा, डॉ० एस० के० चौधरी, डॉ० रामजी भगत, डॉ० सत्येंद्र मिश्रा, डॉ० नरेंद्र कुमार, डॉक्टर बनदेवी झा, डॉ० निर्मला बेसरा, डॉक्टर पूनम रानी, डॉ० ज़ीयोमोल, डॉ० ताराशंकर, डॉ० रामप्रसाद, डॉ० धर्मेन्द्र कुमार, डॉ० जुनेद, डॉ० नावेद, डॉ० राजेंद्र भगत, डॉक्टर राजन, डॉ० आकाश, डॉ० शिवम, डॉ० आलोक के अलावा चिक़ित्साकर्मी राजीव झा, शंकर वर्मा, चंदन, सुनीता, किरण, पम्मी, अनिता, अश्विनी झा, निलेश नरेश आदि शामिल थे।
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