ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। कम उम्र में बच्चों की शादी कर देने से उनके स्वास्थ्य, मानसिक विकास और खुशहाल जीवन पर असर पड़ता है। कम उम्र में शादी करने से पूरे समाज में पिछड़ापन आ जाता है। इसलिए हमारे देश के कानून में लड़के तथा लड़की के लिए विवाह करने की एक उम्रः निर्धारित की गई है। इस उम्र से कम उम्र में शादी करने को ही बाल विवाह कहा जाता है। समय समय पर समाज सुधारकों ने इस तरह की कुप्रथाओं को मिटाने के प्रयास किये हैं। हमारी संसद ने भी बाल विवाह निषेध के लिए कठोर कानून बनाए हैं और लड़के तथा लड़की के विवाह की न्यूनतम आयु निर्धारित की हैं। विवाह की न्यूनतम आयु से पूर्व होने वाले विवाह को बाल विवाह माना जाता है तथा यह गैर कानूनी अपराध की श्रेणी में गिना जाता हैं। बाल विवाह की शिकायत प्राप्त होने पर दोनों पक्षकारों को कड़ी सजा तथा जुर्माने का प्रावधान होने के बावजूद हमारे देश में बाल
विवाह आज भी हो रहे हैं। कानून की सख्ती की बजाय यदि जनजागरण से बाल विवाह को समाप्त करने के प्रयास किये जाए तो यह अधिक प्रभावी कदम हो सकता हैं। अब तो उच्चतम न्यायालय ने प्रत्येक व्यक्ति के विवाह पंजीयन को अनिवार्य कर दिया हैं। कोर्ट के इस कदम से भी बाल विवाहों में कमी लाने में मदद मिलेगी। इस तरह बाल विवाह उन्मूलन के लिए सरकार और समाज इन दोनों स्तरों पर समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता हैं। इसी कड़ी में यूनिसेफ की सहयोगी संस्था प्रथम एवं चाइल्डलाइन के द्वारा प्रखंड क्षेत्र में बाल विवाह की रोकथाम के लिए जागरूकता रैली निकाली गई सुपरवाइजर ज्योत्सना कुमारी के नेतृत्व में जन जागरण को बाल विवाह की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान के तहत रैली निकाली गई। रैली में सेविका ब्यूटी कुमारी, मीना कुमारी, प्रिया कुमारी सिस्का, रेशमा खातून, पदमा मंडल, प्रियंका कुमारी, बेबी कुमारी, भारती देवी, अनिता कुमारी राय सहित दर्जनों सेविकाओं ने भाग लिया और बाल विवाह पर रोक के लिए जनजागरूकता फैलाने का कार्य किया गया।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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