ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- गोड्डा कॉलेज गोड्डा के ऊप प्राध्यापक अर्थशास्त्र नेक समन्वयक डॉ ज्योति कुमार पंकज ने एक भेंटवार्ता में बताया की सन 1954 से स्थापित गोड्डा महाविद्यालय पिछले कई दशकों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। 32 एकड़ से अधिक भूभाग में फैले इस महाविद्यालय में इंटर के साथ कुल 19 विषयों में स्नातक ,10 विषयों में परास्नातक एवं बीएड कोर्स की पढ़ाई होती है। संथाल परगना के इस महाविद्यालय का महत्त्व इसकी स्थापना काल से ही रहा है, तब यह बिहार राज्य के भागलपुर विश्वविद्यालय का हिस्सा हुआ करता था। समय-समय पर इसे अनेक स्थानीय समाज सेवियों/प्रेमियों ,बुद्धिजीवी और विद्वतजनों द्वारा सवारा गया है। लगभग 30 से अधिक प्राचार्यों/ प्रभारी प्राचार्यों की सेवाएं लेने वाला यह अंगीभूत महाविद्यालय अपने अस्तित्व काल से ही अपनी सुरक्षा और बचाव की जद्दोजहद से जूझ रहा है। छः दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस महाविद्यालय की अपनी चारदीवारी नही है। परिसर में अवैध कब्जों,आवारा पशुओं, गाड़ियों एवं परिसर में लगने वाला हटिया(बाज़ार) तथा नशेड़ियों का अड्डा इसकी प्राकृतिक सुंदरता के साथ इसके शैक्षणिक वातावरण को दूषित करते है। हालांकि पिछले कई वर्षों से इसके सुरक्षा हेतु प्रयास किये जाते रहे लेकिन प्रयास अब तक पूर्णतःफलीभूत नही हुए। मामला तब और अधिक गंभीर हो गया जब इस महाविद्यालय परिसर के एक हिस्से में किसी रैयती द्वारा भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया तब यह मामला विश्विद्यालय से लेकर राजभवन तक गया और तब बड़ी मुश्किल के साथ अब तक महाविद्यालय परिसर का सीमांकन हो पाया है। बार-बार महाविद्यालयी भूभाग पर वन विभाग द्वारा किये जाने वाले दावे और अड़चन पैदा करने के चलते इसके आधारभूत संरचना के विकास को बाधित किया जाता रहा है। पुनः एक बार फिर उन तमाम शिक्षाविदों,समाजसेवियों, शिक्षाप्रेमियों एवं स्थानीय लोंगों को इसके अस्तित्व के बचाव एवं सुरक्षा हेतु आगे आने की आवश्यकता है।
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