दीपांशु पुत्र कैलाश चंद निवासी विकास नगर रेवाड़ी ने अपने जीवन का 17 वर्ष पूर्ण कर लिए। जिस पर उन्होंने पिछले कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी अपने जन्मदिन पर पौधारोपण करते हैं । पौधा रोपण करते हुए उन्होंने बताया कि वह हर वर्ष जितने भी पौधे लगाता है उन पौधों की देखभाल भी करता है। उनके पिता कैलाश चंद एड्वोकेट उन पौधों को पानी देते हैं और उनके पिता बेटे के जन्मदिन पर प्रत्येक वर्ष नागरिक अस्पताल में जाकर रक्तदान भी करते हैं जो वे काफी वर्षों से लगातार करते आ रहे हैं ।
दीपांशु ने यह भी कहा कि प्रत्येक वर्ष आम लोगों द्वारा काफी पौधे लगाए जाते हैं । उनमें से अधिकतर पौधे बिना देखभाल , पानी और बिना खाद के कारण बड़े नहीं हो पाते और कड़ी धूप और गर्मी के कारण तथा उसकी जानवरों से सुरक्षा न होने के कारण खराब हो जाते हैं।
उनके अनुसार पौधे छोटे बच्चे के समान होते हैं । जिस प्रकार छोटे बच्चे को संस्कार दिए जाते हैं, उसी प्रकार पौधों को भी समय-समय पर पानी की आवश्यकता होती है । जिस प्रकार बच्चों को बुरी आदतों से बचा कर रखा जाता है , उसी प्रकार पौधों को उन्हें खराब करने के हर स्रोत से बचा कर रखना चाहिए । जैसे छोटे बच्चों को आंखों के समक्ष रख कर बड़ा किया जाता है, बिल्कुल वैसे ही छोटे पौधों को सही देखभाल के साथ ही बड़ा किया जा सकता है।
परंतु आज के पौधों को 1 या 2 बार ही पानी देकर छोड़ दिया जाता है । मुख्यरूप से देखने वाली बात ये भी है कि सरकार द्वारा काफी संख्या में पौधा रोपण करवाया जाता है परन्तु उन पौधों को सिर्फ 2 बार पानी दिया जाता है जबकि प्रत्येक वर्ष गर्मियो में तो प्रत्येक सप्ताह में कम से कम 2 बार पानी दिया जाना चाहिये परन्तु सरकार द्वारा लगाए गए पौधो को पानी ही नही दिलवाती है जिस कारण 99% पौधे सूख जाते हैं।आमजन द्वारा भी लगाए गए पौधों का खत्म होने का मुख्य कारण भी यही है परिणामस्वरूप जितने पौधे लगाए जाते हैं उनके सिर्फ 15% - 20% ही बड़े हो पाते हैं ।
आज के हालात तो हम सबके समक्ष है ही कि पिछले वर्ष से आई कोरोनावायरस महामारी में आक्सीजन की कमी के कारण काफी लोगो की जान नही बच पाई, अगर देखा जाए तो ये पेड़ - पौधे हमें प्राकृतिक और शुद्ध ऑक्सीजन देते हैं। परन्तु हम इनकी अहमियत नही समझ पा रहे हैं कि पेड़ पौधे हमारे जीवन मे कितने जरूरी है अगर पेड़ पौधे नही तो हम भी नही। अभी भी देर नहीं हुई है, पौधे लगाने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी हमारी ही जिम्मेदारी है। आज से ही हम सभी मिलकर सुरुवात करे तो सायद हम इस धरती की हरी भरी कर सकते हैं,
कैलाश चंद एड्वोकेट द्वारा प्रत्येक वर्ष अपने पुत्रों के जन्म दिन पर पौधा रोपण तो करवाते ही है साथ साथ वे रक्तदान भी करते हैं ताकि रक्त की कमी के कारण किसी की जान न जाये। समाज मे हमे एक दूसरे के साथ मिलकर एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए । रक्त दान करने से हम जाती धर्म से ऊपर उठ कर मानवता का परिचय देते हैं क्योकि जरूरतमंद को ये नही पता होता कि किस जाति धर्म का रक्त उसे मिल रहा है जिससे उसकी जान बच रही है और रक्त देने वाले को भी नही पता होता कि उसके द्वारा दिया गया रक्त किस जाति धर्म को दिया जाएगा। मानवता का परिचय समाज के प्रत्येक इंसान को आगे आकर देना चाहिये। दीपांशु के द्वारा आज पौधा रोपण करते हुए उनके साथ उनके पिता कैलाश चंद एड्वोकेट व बड़ा भाई कमल कांत साथ रहे।
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