ग्राम समाचार, महागामा ब्यूरो रिपोर्ट: करमा पूजा झारखंड में खास तौर पर मनाया जाता है। इस दिन लड़कियां व्रत रखती हैं और फिर शाम को बांस की डाली की पूजा की जाती है। करम पर्व को शांति और खुशहाली का प्रतिक माना जाता है। यह पर्व झारखंड की संस्कृति से जुड़ा हुआ है। पर्व की रात में झारखंड के लोकनृत्यु और गीतों का आनंद लिया जा सकता है। इस पर्व में बांस की डाली की खास महत्व है। मंगलवार के पूरे दिन उपवास की जाती है और शाम के समय बांस की डाली की पूजा की जाती है। इसे करमा डाली का नाम दिया जाता है। शाम के समय पूरे परिवार के लोग एक साथ एकत्र होते हैं। सभी नए-नए वस्त्र आभूषण पहनते हैं। उसके बाद करमा की डाली को एक ही बार में काटा जाता है। फिर इसे हाथों में रखे रहते हैं और शाम को इसकी विशेष पूजा की जाती है। करमा पर्व के दिन बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। इनके भाई 'करम' वृक्ष की डाल लेकर घर के आंगन में गाड़ते हैं। इसके बाद सभी महिलाएं नृत्यु करती हैं| रात भर जागकर फल्लास मनाते हैं और सुबह सूर्य उदय होने से पहले इस डाली का विसर्जन कर दिया जाता है। वहीं इस दौरान महागामा प्रखंड अंतर्गत कुसमी, करनु, बलिया, सहित अन्य गाँव में आज बड़े ही धूमधाम से लोक पर्व करमा धरमा का नृत्य एवं गीत के साथ सुभारंभ किया गया। सूत्रों के अनुसार यह पर्व सप्ताह भर चला है। उसके बाद मंगलवार को एकादशी व्रत में पानी तक नहीं पीना होता है। पर्व करमा - धरमा अन्तिम दिन पूरे जिले में सभी बहनों ने अपने भाईयों की लम्बी उम्र की कामनाएं करते हुए बांस की नये डाली में पांच प्रकार के बीजों को बालु साथ बोया था। फिर सभी बहनों ने करमा गीतों से जाउवा को जगाया। इस मौके पर अन्नु,पायल, लक्ष्मी, रूपा महतो, अंशु महतो, भैरवी, आशा, सावित्री, दीपा, निशुराज, खुशी, प्रिया, उषा, सिंपी, विनीता, पूजा, निशा महिमा,काजल , साक्षी , अलका एवं दीपू राज आदि ब्रत रखा।
अंकुश कुमार मोदी के सौजन्य से:-
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