यकीं मोहकम, अमल पैयहम, मोहब्बत फातेहे आलम हाकिम वही जो दिलों पर राज करें : सैयद सलमान नदवी
युवा पीढ़ी नशे की शिकार हो रही है इसे रोकना होगा : सैयद हसन
मानवता का संदेश कांफ्रेंस में नशा मुक्ति पर दिया गया बल
ग्राम समाचार, भागलपुर। खानकाह-ए-पीर दमड़िया शाह की ओर से रविवार को पैयाम-ए-इंसानियत (मानवता का संदेश) कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। मानवता का संदेश पर आयोजित कार्यक्रम में इल्म व अदब का शहर लखनऊ से आए विश्व प्रसिद्ध धार्मिक गुरु सैयद सलमान हुसैनी नदवी ने भागलपुर के लोगों को प्रेम और सद्भावना का पैगाम दिया। उन्होंने कहा कि आज देश और दुनिया को सबसे ज्यादा जरूरत मानवता की है क्योंकि इंसान के अंदर जब बिगाड़ आता है तो वह जंगल के दरिंदों से ज्यादा इंसान को नुकसान पहुंचाता है और खतरनाक बन जाता है। खुशहाल समाज का वजूद प्रेम व मोहब्बत से स्थापित होता है। सैयद नदवी ने कहा कि दुनिया आज नफरत की आग में झुलस कर तबाही के दहाने पर खड़ी है जरूरत है कि मुल्क व मिल्लत से मोहब्बत रखने वालों को एक जुट होकर इस नफरत की आग को बुझाने का काम करना होगा। आज यदि हम खामोश तमाशाई बने अत्याचार को देखते रहे और इसके निदान के लिए हमने कोशिश नहीं की तो आने वाली नस्लें हमें मांफ नहीं करेगी। इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए खानकाह-ए-पीर दमड़िया शाह के 15वें सज्जादानशींन सैयद शाह फखरे आलम हसन ने कहा कि आज हमारे समाज में बिगड़ते हुए नौजवान बहुत तेजी से नशा आवर चीजों के शिकार बनते जा रहे हैं। शराब, जुआ, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में लगे हैं। जरूरत इस बात की है कि इन्हें अच्छे एखलाक और आदर्श की शिक्षा दी जाए। यह हमारी और आप की जिम्मेदारी है कि अपने मोहल्ले और इलाके में नौजवानों को अच्छे एखलाक की प्रेरणा दी जाए। उन्हें समाज का एक जिम्मेदार व्यक्ति बनाने की भरपूर कोशिश हो। आजादी के दौर में यह गीत गाया जाता था। "इंसाफ की डगर पर बच्चों दिखाआओं चलके
ये देश है तुम्हारा नेता तुम्हीं हो कल के"
सैयद हसन ने कहा कि नौजवान नश्ल अपनी जिम्मेदारी और सामाजिक दायित्व को पूरा करने में लगे तो देश का भविष्य उज्जवल हो जाएगा। मुंगेर से आए अब्दुल्ला बुखारी ने कहा कि पैयाम-ए-इंसानियत कांफ्रेंस के माध्यम से खानकाह-ए-पीर दमड़िया शाह ने देश भर में प्यार व मोहब्बत का पैगाम आम करने का सराहनीय काम किया है। मौलाना मती उर रहमान ने कहा कि आज लोगों के दिलों से खुदा का खौफ निकल गया है जिसके कारण नौजवान गलत रास्ते पर चल रहे हैं। जरूरत है कि हम कुरान-ए-पाक और सिरत-ए-रसूल (स.) की रौशनी में जिंदगी गुजारें। मौलाना मासूम रजा अशर्फी ने कहा कि आज इंसानियत और मिल्लत के साथ रहने की आवश्यकता है खासकर उलेमा को चाहिए कि वह प्रेम व सद्भावना का पैगाम देने का काम करें। इस कार्यक्रम में मुस्लिम माइनॉरिटी कमेटी का भरपूर सहयोग रहा। कार्यक्रम में सुजीत कुमार लाल, डा. मुकेश सिन्हा, शहाबुद्दीन खान वर्दी, सैयद यहिया, सैयद साद, सैयद काशिफ, एनुल होदा, मो. निजामुद्दीन सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत-ए-कुरान से की गई।
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