ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। आज 14 फरवरी है. बाजार वैलेंटाइन डे बेच रहा है। सवाल तो ये है कि गुलाब में लिपटी रुमानियत के बीच क्या हमें पुलवामा की याद है भी या नहीं। आज पुलवामा हमले की तीसरी बरसी है। उस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों ने शहादत दी थी। श्रीनगर से 30 किलोमीटर दूर अवंतीपोरा इलाके के लाटूमोड़ पर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला किया था। 76वीं बटालियन की बस से आरडीएक्स से भरी कार टकरा दी थी। धमाका इतना तगड़ा था कि पलभर में बस के परखच्चे उड़ गए और जम्मू-कश्मीर हाइवे पर सौ मीटर के दायरे में बिखरे क्षत-विक्षत शवों की तस्वीर किरचों की तरह दिलो दिमाग में जा धंसी। पुलवामा, जिसकी
पहचान कश्मीर में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन वाले इलाके की थी, इस आतंकी वारदात ने उसकी पहचान खून से लथपथ कर दी थी। पुलवामा के लेथपोरा इलाके में सीआरपीएफ के उन चालीस शहीद जवानों की याद में पिछले साल ही स्मारक बनाया गया। अब पुलवामा की तीसरी बरसी पर सीआरपीएफ ने उन शहीदों को ये कहते हुए हम सभी ने याद किया है। "तुम्हारे शौर्य के गीत, कर्कश शोर में खोये नहीं, गर्व इतना था कि हम देर तक रोये नहीं।" विदित हो कि 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया था। यह उड़ी में हुए आतंकी हमले से भी बड़ा था। हमले में 40 जवान शहीद हो गए। हमला जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाकर किया गया। इस काफिले में 2500 जवान शामिल थे।
सोनू गुप्ता,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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