आज के बजट से हर व्यक्ति को बड़ी उम्मीद थी लगातार बढ़ रही मंहगाई कैसे कम हो उस पर सबकी नजर थी लेकिन ऐसा कुछ नही मिला आमजन को निराशा हर बार मिलती है।
आम ग्रहणी का ध्यान रसोई गैस तेल साबुन आटा चावल के बढ़ते दामों पर है। मजदूर की मजदूरी तो नहीं बढ रही लेकिन उसके दिनचर्या का सामान में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। ये बजट उनके लिए हितकारी कैसे हुआ। आज आमजन का मंहगाई के कारण मकान बनाना भी बड़ा मुश्किल हो रहा है सबसे बड़ी चिंता का विषय यही है कि जब तक आम व्यक्ति को रोटी कपड़ा और मकान सस्ता व सुलभ ना मिल पाए तब तक विकास की बात करना बेमानी होगा। सरकार बजट में गरीबों की केवल बात करती है उनको फायदा नही देती।
बेरोजगारी के बढ़ते कदम रोकने में सरकार बिल्कुल विफल रही। आज पढ़े लिखे युवाओं को रोजगार की जरूरत है । उनको रोजगार कैसे मिले। सरकार का प्रयास ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करने का होना चाहिए ताकि बेरोजगारी को कम किया जा सके।
इनेलो प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट रजवन्त डहीनवाल ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी सरकार लगातार विकास की बात करती है लेकिन धरातल पर 8 साल में विकास नजर नहीं आया। बीजेपी सरकार मेट्रोपॉलिटन शहरों में दो चार अच्छी सड़के, अंडरपास, फ्लाईओवर, लाइटे लगाकर उनको ही विकास समझ लेती क है। लेकिन बीजेपी सरकार ये भूल जाती है कि असली विकास की जरूरत तो उन गांवो को हैं जहाँ पर लगभग 65% जनसंख्या रहती है। देश की जो मुख्य पृष्ठभूमि गाँव व देहात हैं उसका विशेष तौर पर ध्यान रखना जरूरी था लेकिन सरकार शहर की चकाचौंध तक सीमित है। गरीबी ,बेरोजगारी ,महंगाई यह लगातार गरीब परिवार को और गरीब बनाने का काम कर रहे हैं वही महंगी चिकित्सा महंगी शिक्षा मध्यवर्ग का बजट बिगड़ने में पल भर की देरी नहीं करती। आज जरूरत बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की है। लेकिन सरकार उनको केवल कागजों टीवी में अखबारों में मजबूत करती नजर आती है धरातल पर रत्ती भर की भी सच्चाई सामने नहीं आती लगातार स्वच्छ भारत मिशन के तहत हजारों करोड रुपए खर्च करने के बावजूद भी शहरों की ही व्यवस्था ठीक नहीं हुई। आज भी कूड़े के ढेर देखने को मिलते। सरकार ने गरीबों को 5 किलो अनाज ₹100 के थैले में देकर जनता के गाड़ी खून पसीने की कमाई को अपने प्रचार प्रसार में लगाया है ये सरकार पूंजीपतियों की है।
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