शोध का विषय "चयनित महाकाव्यों में नारी सशक्तीकरण का अध्ययन "मूल निवासी गांव जांटी रेवाड़ी हरियाणा अपने मायके एवं ससुराल से पहली NET JRF और Ph D है।
वर्षा ने एक साल की बेटी के साथ शुरू किया था Ph D का सफर अपनी इस उपाधि एवं उपलब्धि का श्रेय वर्षा ने अपनी शोध निर्देशिका डॉ. निशीथ गौड़,पति हितेश कुमार एवं भाई अविनाश को दिया है। वर्षा अपने मायके और ससुराल की पहली नेट, जेआरएफ और पीएचडी है। इस खुशी के मौके पर पति हितेश कुमार से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि वह समाज को महिला शिक्षा के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण देना चाहते हैं और इस पहल की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2016 में बेटी के जन्म पर गांव में पहला कुआं पूजन का कार्यक्रम कराकर की थी।
डॉ. वर्षा रानी वर्तमान में डॉ.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में असि. प्रोफेसर के पद पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने कहा कि वे भविष्य में भी संस्कृत के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए मैं सदैव तत्पर रहेंगी, साथ ही शिक्षा को बढ़ावा देने और महिलाओं को सशक्त करने का प्रयास करूंगी क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी या तो बेटियों को पढ़ाया नहीं जाता है या पढ़ाई आधे में ही छूट जाती है।
माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः ।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा अर्थात् जो माता-पिता अपने बच्चों को नहीं पढ़ाते वे शत्रु के सामान हैं| बुद्धिमानों की सभा में अनपढ़ बालक कभी सम्मान नहीं पाता, वहां वह हंसों के बीच बगुले के समान होता है।
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