सतयुग दर्शन संगीत कला केन्द्र में नन्हें मुन्ने बच्चों एवं शिक्षकों द्वारा 'मदर्स डे' मनाया गया। इस दिन विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे कविताएं,समूह गान,समूह नृत्य इत्यादि प्रस्तुत किये गये जो कि “मदर्स डे” पर आधारित थे। मदर्स डे के उपलक्ष्य में सभी माताओं को कला केंद्र प्रांगण में आमन्त्रित किया गया। इसी श्रंखला में विद्यार्थियों ने अपनी माताओं के सम्मुख अपनी भावनाओं को व्यक्त किया गया एवं कला केंद्र द्वारा सभी माताओं को सम्मानित भी किया गया।
इसी उपलक्ष्य में संगीत कला केंद्र की केंद्र व्यवस्थापक श्रीमती ज्योति बहल, रिम्पी चावला और पूजा बहल द्वारा विद्यार्थियों को इस विशेष दिन का महत्व बताते हुए समझाया कि भगवान का दूसरा रूप है मां, जिसने हमें ये बहुमूल्य जीवन दिया, वही हमें अच्छे बुरे का भेद बताती, वही हमारी गल्तियों को सुधारती, अतः हमें उनका जीवन पर्यन्त सम्मान करना चाहिए।एक बच्चे की सबसे पहली गुरु मां ही होती है, तत्पश्चात पिता एवं उनके पश्चात शिक्षक का विद्यार्थी जीवन में विशेष योगदान होता है।जिनके हम सदैव ऋणी रहते हैं। अतः समाज में व्याप्त कुरीतियों को खत्म करना है और प्रत्येक मां- बहन को सम्मान देना है तभी आप एक संस्कारी पुत्र, पुत्री, बेटा या विद्यार्थी कहलाओगे। इस मदर्स डे पर सतयुग दर्शन कला केंद्र के मेंबर्स द्वारा यह आयोजन किया गया।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें