ग्राम समाचार न्यूज : रेवाड़ी : नी-अर्थराइटिस यानी घुटने का गठिया बड़ी उम्र के लोगों में होने वाली एक बहुत ही आम समस्या है. कई बार ये समस्या बहुत ही गंभीर रूप ले लेती है, दर्द ज्यादा हो जाता है और रोजमर्रा के काम करने भी मुश्किल हो जाते हैं. कुछ मरीजों को डॉक्टर टोटल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह देते हैं, किसी मरीज के लिए ये कठिन भी हो जाता है. हालांकि, मेडिकल साइंस में हुई हालिया एडवांसमेंट से पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी बहुत ही सुरक्षित हो गई है और घुटने के अर्थराइटिस वाले मरीजों के लिए कम चीर-काट वाले विकल्प इस्तेमाल किए जाते हैं।
फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम के बोन एंड जॉइंट इंस्टीट्यूट में जॉइंट रिप्लेसमेंट के हेड डॉक्टर जयंत अरोड़ा ने पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी के फायदों के बारे में बताया, ‘’ पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी एक मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है जो घुटने के जोड़ के केवल क्षतिग्रस्त हिस्से को बदल देती है. इसमें घुटने में स्वस्थ ऊतक और हड्डी को संरक्षित किया जाता है. पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी में हमेशा घुटने के सेंट्रल लिगामेंट (ACL) को बचाया जाता है और टोटल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी में इसे हमेशा मरीज के शरीर से हटा दिया जाता है. यही वजह रहती है कि मरीज टोटल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की तुलना में पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट प्रक्रिया को लेकर ज्यादा संतुष्ट रहते हैं.’’
ये प्रक्रिया अपनाने से मरीज की रिकवरी बहुत ही तेज गति से होती है, सर्जरी के बाद बहुत ही कम दर्द रहता है और टोटल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की तुलना में इसमें सर्जरी के बाद कम परेशानियां होती हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की हालिया स्टडी में पता चला है कि जिन मरीजों में हार्ट और डायबिटीज की समस्या पहले से ही हो, ऐसे अर्थराइटिस मरीजों के लिए पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी सुरक्षित रहती है.
फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम के बोन एंड जॉइंट इंस्टीट्यूट में जॉइंट रिप्लेसमेंट के हेड डॉक्टर जयंत अरोड़ा पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में उत्तर भारत के एक लीडिंग एक्सपर्ट हैं. डॉक्टर अरोड़ा ने कई पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी सफलतापूर्वक की हैं और अपने मरीजों को कम दर्द व परेशानी के साथ सामान्य किया है.
डॉक्टर अरोड़ा ने इस सर्जरी के बारे में बताया, ‘’घुटने के अर्थराइटिस वाले मरीजों के लिए पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी एक बहुत की शानदार विकल्प है. टोटल नी-रिप्लेसमेंट की तुलना में इसके कई फायदे हैं. जल्दी रिकवरी होती है, सर्जरी के बाद कम दर्द होता है, घुटने के फंक्शन अच्छे से सुचारू हो जाते हैं. इसके अलावा मरीज को लंबे वक्त अस्पताल में रुकने की जरूरत नहीं पड़ती, और सर्जरी के कुछ हफ्तों में ही मरीज अपनी दिनचर्या सामान्य रूप से चला सकता है. हालांकि, जिन मरीजों को रुमेटाइड आर्थराइटिस, घुटने में जकड़न, या लिगामेंट क्षति की शिकायत हो तो उनके लिए पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी बेहतर विकल्प नहीं रहता. घुटने के अर्थराइटिस के कारण गंभीर दर्द के साथ हमारे पास आने वाले 40-50% मरीज ऐसे होते हैं जिनकी पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की जा सकती है.’’
अगर आप नी-अर्थराइटिस से पीड़ित हैं और आपको टोटल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए सुझाव दिया गया है तो आप उसकी जगह पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी भी करा सकते हैं. डॉक्टर आपकी कंडीशन को देखेंगे और समझकर फैसला लेंगे कि क्या आपकी पार्शियल सर्जरी की जा सकती है या नहीं. अगर आपकी पार्शियल नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है तो ये आपके लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है।
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