परम पूज्या गुरु मां आर्यिका रत्न 105 अर्हंश्री माताजी ने रेवाड़ी के नसिया जी में प्रणम्य सागर मांगलिक भवन में चल रहे 48 दिवसीय भक्तामर विधान के अंतर्गत प्रवचन ने बताया कि श्री भक्तामर का पाठ करो नित प्रातः भक्ति मन लाई सब संकट जाये नशाई जब काले-काले घनघोर बादल छाये हों, जब मूसलाधार बारिश गिर रही हो और आप कभी कथंचित समुद्रयात्रा करने जा रहे हो, जहाज डूबने वाला हो, बहुत सारे मगरमच्छ, सर्प आदि भयंकर जीव जन्तु परेशान कर रहे हों, बहुत सारी लहरें आ रही हों, तो क्या किया जाये तीसरा-चौथा काव्य युगल काव्य इस काव्य की ऋद्धिमंत्र जापमंत्र के साथ साधना की जाये तो निश्चित रूप से भयंकर से भयंकर समुद्र से पार हो जाते हैं।
जब विपत्ति आती है तो गुरु जन की याद आती है। भाव भगवान से जुड़ जाते है जहाँ कही ऐसा लिखा हो कि यह क्षेत्र दुर्घटना क्षेत्र है यहाँ दुर्घटनाएँ होती रहती है सावधानी पूर्वक यात्रा करें जब आप कहीं जा रहे हो तो अपनी सुरक्षा के लिए निःसही निःसही निःसही शब्द का जाते समय उपयोग करें और आते समय अ:सही अ:सही अ:सही शब्द का उपयोग करते हो। हम जीवन में आने वाली विपत्तियों से किनारा पा सकते है।भक्तामर स्तोत्र को श्रद्धा के साथ पढ़ने से सारे संकट दूर चले जाते हैं।
सूचना प्रभारी श्रीमती नेहा जैन प्राकृत ने बताया कि आज के पुण्यार्जक परिवार श्री मेहरचंद, अरविंद कुमार जैन, श्री संतोष जैन, संदीप जैन, बजाज, श्री दीनदयाल जैन, सुधीर जैन, बजाज, श्री विवेक जैन, अक्षय जैन, टी पी स्कीम, एवं श्री अरविंद जैन सेठ, अर्हं भक्त परिवार, बांसवाड़ा की ओर से श्री भक्तामर विधान हुआ।
प्रवचन के पश्चात आज का नियम में "भिंडी का त्याग" करवाया। यह विधान 48 दिनों तक इसी तरह पूरी भक्ति के साथ चलेगा। सैकड़ों परिवार प्रभु भक्ति का आनंद ले रहे हैं।
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