जैन समाज की प्रमुख संत आर्यिका रत्न अर्हम माताजी ने कहा कि मन को पवित्र करना है तो सबसे पहले दूसरों के दोष देखना बंद कर दो। जितना हो सके दूसरों के गुणों को देखें और उनके गुणों के बारे में ही बात करें। इससे नकारात्मकता समाप्त होगी और संसार में सभी प्राणियों के प्रति हमारे मन में निर्मलता होगी। अर्हम माताजी जैन समाज के लोगों के बीच नसियाजी मंदिर प्रांगण में प्रवचन कर रही थी।
उन्होंने कहा कि अकसर लोग यह पूछते हैं कि माताजी हम अपने मन को पवित्र कैसे करें। मन पवित्र तभी होगा जब हम पूज्य पुरुषों का स्तवन करेंगे, उनकी दी हुई शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण करेंगे। कितने ही साफ वस्त्र क्यों न पहन लें उनका कोई लाभ नहीं है जब तक हम अपने मन को पवित्र नहीं करेंगे। मन को पवित्र करके जो भी काम करेंगे तो जीवन में सफलता अवश्य ही मिलेगी।
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