"राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस" पर राजकीय मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल गढ़ी बोलनी, रेवाड़ी के सेमिनार हॉल में भारत माता की जय और वंदे मातरम के उद्घोष के साथ राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पन पिंगला वेंकैया, स्वामी विवेकानंद एवं राष्ट्रगीत के रचयिता बैंकिंग चंद्र चट्टोपाध्याय को पुष्पांजलि अर्पित कर मनाया गया। कार्यक्रम में वसुंधरा,पर्यावरण व जल संरक्षण एवं स्वच्छता के संकल्प के साथ पौधारोपण कर शिक्षा और खेलों के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियों हेतु मैट्रिक कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली बेटी भूमिका को सत्यार्थ प्रकाश,अंग वस्त्र,पौधा एवं महक,चंचल,खुशी,पायल, सोनम,सचिन,प्रवेश,पारुल,ममता,सरिता, सुनीता,अर्चिता,निधि, अंजलि,रिया, भारती आदि अनेक छात्राओं को सम्मानित किया।इस अवसर पर विद्यार्थियों ने कविताओं और प्रतियोगिता के माध्यम से तिरंगा को देश की आन,बान और शान बताया।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ.आर.के.जांगड़ा विश्वकर्मा,सदस्य, स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा सरकार एसटीएफ नें 'शहीदों के लहू से श्रंगारा तिरंगा, प्राणों से भी प्यारा है हमारा तिरंगा के उद्घोष के साथ कहा तिरंगे के सम्मान को बनायें रखने के लिए कई माताओं ने अपने लाडलों को कुर्बान किया है,कई पत्नियो ने अपनी सिंदूर को कुर्बान किया है,कई बहनो ने अपने भाई को कुर्बान किया है। आजादी के अमृत महोत्सव में राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की आन,बान और शान का प्रतीक तिरंगे ध्वज के अस्तित्व के स्थापना दिवस को पूरा देश मना रहा है। उन्होंने कहा 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में तिरंगा को अपनाया गया था। प्रत्येक स्वतंत्र और गणतंत्र दिवस पर लाल किले की प्राची पर राष्ट्रीय ध्वज को बड़े ही आदर और सम्मान के साथ फहराया जाता है। 1904 में विवेकानंद की शिक्षा सिस्टर निवेदिता ने पहली बार एक ध्वज बनाया जिसे बाद में सिस्टर निवेदिता ध्वज के नाम से जाना गया।1908 में सर भीकाजी कामा ने देवनागरी में वंदे मातरम लिखा और सबसे ऊपर आठ कमल वाला तिरंगा झंडा जर्मनी में लहराया था। इस ध्वज को भीकाजी कामा,वीर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा ने मिलकर तैयार किया था। प्रथम विश्व युद्ध के समय इस ध्वज को बर्लिन कमेटी ध्वज के नाम से जाना गया क्योंकि बर्लिन कमेटी में भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा अपनाया गया था। सन 1916 में पिंगली वेंकैया ने एक ऐसी ध्वज की कल्पना की जो सभी भारतीयों को एक सूत्र में बांधेनें का कार्य करें। पिंगला वेंकैया नें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सलाह ली जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोने का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। डॉ. विश्वकर्मा ने कहा बेटियों के प्रति समाज की नकारात्मक सोच में बदलाव लाने और उन्हें शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने हेतु पीएम नरेंद्र मोदी ने हरियाणा की पावन धरा पानीपत से 22 जनवरी 2015 को समूचे देश को बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया था जिसके सुखद परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वतंत्रता सेनानियों, महापुरुषों एवं अमर वीर शहीदों और जीवन के शुभ अवसरों पर अधिक से अधिक पौधारोपण करने हेतु जागरूकता का संदेश दिया गया। इस अवसर पर सुरेंद्र कुमार प्राचार्य, सुमन, जितेंद्र, कमल, महेश चौहान, सुनीता, सरिता, अजीत आदि अध्यापक वर्ग सहित सैकड़ों विद्यार्थी उपस्थित थे।
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