ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- वास्तव में इस बरसाती मौसम में आई फ्लू एक आम परंतु बहुत ही कष्ट कारक बीमारी है जो आखों को इस कदर प्रभावित करती है कि बड़े तो बड़े छोटे बच्चे भी संक्रमित व्यक्ति के समीप जाने से कतराते हैं। इस बारे में आयुष सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार से बातचीत का सारांश निम्न प्रकार है- सर्वप्रथम कारण पर आते है-आई फ्लू को कंजेक्टिवाइटिस नाम से भी जाना जाता है। कंजेक्टिवा आंख की पतली परत है और आईटीश का अर्थ होता सूजन। अर्थात आखों में सूजन ही कंजेक्टिवाइटिस अथवा आई फ्लू है। यह एक वायरस से होने वाली एक जबरदस्त संक्रामक बीमारी या कम्युनिकेबल डिसीज हैं जो सामुदायिक स्तर पर तेजी से फैलता है। आमतौर पर वर्षा ऋतु में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है और तापमान 28 से 32 डिग्री सेल्सियस रहने के कारण हानिकारक सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगस को अनुकूल वातावरण मिल जाता है । आई फ्लू के सामान्य लक्षण-जैसे- संक्रमित व्यक्ति का आंख लाल होकर फूल जाता है, आंख से पानी निकलने लगता है और चुभने लगता है, सुबह सो कर उठने पर आंखों की दोनों पलके एक दूसरे से चिपक जाती है |
निवारण- वैसे तो यह रोग 6 से 7 दिनों के भीतर स्वताः ही समाप्त हो जाता है बावजूद संक्रमण के निवारण हेतु सभी पेथी में औषधियां मौजूद हैं जो व्यक्ति को आराम देती हैं वो निम्न हैं- एलोपैथिक मेडिसिन- मैक्सीफ्लाक्सासिन और ओफ्लाक्सासिन आई ड्रॉप | होम्योपैथिक मेडिसिन| बेलाडोना 200, यूफ्रेसिया 200, एकोनाइट 200, आर्सेनिक एल्बम 200, (लक्षण के अनुसार)| घरेलू उपचार- चमेली के फूल को आंख पर रखकर पट्टी बांधे ठंडक मिलेगी, आंख को बर्फ से सेकें, आंखों को धूप से बचाए, एकांत और शांत वातावरण में रहे| परहेज- आंखों को रगड़े नहीं आंखों को रुमाल से ढक कर रखें|
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