Rewari News : हमें मन की नहीं आदिनाथ भगवान की माननी है :: अर्हंश्री माताजी


परम पूज्या गुरु मां *आर्यिका 105 अर्हं श्री माताजी*  ने रेवाड़ी के नसिया जी में प्रणम्य सागर मांगलिक भवन में चल रहे 48 दिवसीय भक्तामर विधान के अंतर्गत 23वें काव्य के बारे में बताया इस काव्य में आचार्य मानतुंग महाराज कहते हैं-हे भगवान! जो पुरुष आप को मानते हैं अथवा जो पुरुष आपकी मानते हैं वे मृत्यु को भी जीत लेते हैं। अभी तक हम जिसकी मान रहे थे अब उसकी नहीं मानना है अर्थात् अभी तक हम मन की बात मान रहे थे अब हमें अपने मन की बात नहीं माननी है। अभी तक न हमने आगम को सुना है न आगम की बात मानी है। इसीलिए हम और आप दुखों के समुद्र में पड़े हुए हैं।  आगे मताजी कहती हैं -आज से आदिनाथ भगवान को मानना है, आदिनाथ भगवान की मानना है, अब हमें अपने मन की नहीं मानना है। अब उनको मान करके हमें आदिनाथ भगवान की मन की बात माननी है।

जिसके ऊपर आदिनाथ भगवान की छाया हो, आचार्य मानतुंग महाराज  का वरद हस्त हो , आचार्य गुरुदेव की छाया हो तो क्या वह अपने मन की बात मानेगा? जो अपने मन की करेगा उसके ऊपर से आदिनाथ भगवान की कृपा छूट जाएगी।

एक बार तुम अपने जीवन के बचे हुए क्षण आदिनाथ भगवान को समर्पित कर दो, आदिनाथ भगवान से कह दो हे भगवान! अब मैं आपके मन की करूंगा, आपके मन की बात मानूंगा देखना जीवन में कोई परेशानी नहीं आएगी।  

आज के पुण्यार्जक परिवार:- श्री पॉलियामल जैन श्री शैलेंद्र कुमार जैन श्री निखिल जैन परिवार, गांधी नगर, रेवाड़ी, श्री सुमेरचंद जैन श्री अशोक कुमार जैन रहे।

सूचना प्रभारी नेहा जैन प्राकृत" ने बताया यह विधान "विधानचार्य श्री वरुण भैया" द्वारा कराया जा रहा है, यह 48 दिनों तक इसी तरह पूरी भक्ति के साथ चलेगा। सैकड़ों परिवार प्रतिदिन प्रभु भक्ति का आनंद ले रहे हैं।

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Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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