ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। बिहार एवं झारखंड के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है ‘करमा पूजा’। इस दिन बहन अपने भाई के लिये व्रत रखकर उसके दीर्घायु की कामना के लिए पूजा अराधना करती हैं। हर साल करमा पूजा भाद्रमाह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनायी जाती है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस साल करमा पर्व 25 सितम्बर को मनाया जाएगा। वहीं करमा पर्व सिर्फ झारखंड में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल, असम,बिहार आदि राज्यों मे बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। हर साल करमा पर्व भाद्रमाह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।वहीं इस साल 25 सितम्बर को करमा पर्व का व्रत रखा जाएगा। करमा पर्व का मुख्य उदेश्य होता है बहन अपने भाई की सुख समृद्धि के लिये एकादशी के दिन व्रत रखती है। इसके साथ ही अच्छी कृषि और प्रकृति से अच्छी फसल की कामना की जाती है।
क्या है करमा पर्व की कहानी
पुरातन काल से कहा जाता है कि कर्मा और धर्मा दो भाई थे जिन्होंने अपनी बहन की रक्षा के लिए जान को दांव पर लगा दिया था। दोनों ही भाई काफी गरीब थे तथा उसकी बहन भगवान से हमेशा सुख-समृद्धि की कामना करते हुए तप करती थी। बहन के तप के कारण दोनों भाइयों के घर में सुख, शांति-समृद्धि आई थी। जिसके फलस्वरूप दोनों भाइयों ने दुश्मनों से अपनी बहन की रक्षा करने के लिए जान तक गंवा दी थी। इसी के बाद से इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई। वहीं दूसरी ओर इस पर्व से जुड़ी एक और किदवंती प्रचलित है, बताया जाता है कि एक बार कर्मा नामक भाई व्यापार करने हेतु परदेस गया था और वहीं जाकर व्यापार में रम गया। बहुत वर्षों के बाद जब कर्मा घर लौटा तो उसने देखा कि उसका छोटा भाई धर्मा करमडाली की पूजा में दिन रात लीन रहता है। धर्मा ने बड़े भाई के लौटने पर कोई खुशी नहीं जताई और पूजा में ही लीन रहा। यह सब देख कर कर्मा को बहुत गुस्सा गया और उसने पूजा का सामान फेंक दिया और अपने भाई धर्मा से झगड़ा करने लगा। धर्मा भाई के इस अधर्म को चुपचाप सहता रहा। समय का पहिया चला और धीरे धीरे कर्मा की सुख-समृद्धि खत्म हो गई। आखिरकार धर्मा को अपने भाई पर दया आ गयी और उसने अपनी बहन के साथ ईश्वर से प्रार्थना की और सब ने मिलकर करमडाली की पूजा की। एक रात कर्मा को देवता ने स्वप्न में करमडाली की पूजा करने को कहा। कर्मा ने वहीं किया जिससे कर्मा की सुख-समृद्धि लौट आई।
कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।
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