Bounsi News: दही कादो उत्सव के साथ जन्माष्टमी का समापन,दही कादो उत्सव को लेकर ऐतिहासिक मधुसूदन मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। ऐतिहासिक मधुसूदन मंदिर में जन्माष्टमी को लेकर बुधवार सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगनी शुरू हो गई। मालूम हो कि, यहां की यह परंपरा काफी पुरानी है। जिसमें क्षेत्र के श्रद्धालुओं के साथ साथ झारखंड के सुदूरवर्ती इलाकों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। सिंहासन पर विराजमान भगवान मधुसूदन को जन्म के बाद श्रद्धालुओं के द्वारा दही से नहलाया जाता है। मधुसूदन मंदिर की इस अनोखी धार्मिक परंपरा में श्रद्धालु, भक्त, पंडा समाज के लोग एक दूसरे को दही का टीका भी लगाते हैं। जन्मोत्सव में संध्या में मंगल आरती पूजा अर्चना के बाद धार्मिक जागरण का भी कार्यक्रम किया गया। मधुसूदन मंदिर में सुबह में भगवान का पंचामृत स्नान कराने के बाद महा पूजन किया गया। जिसके बाद उन्हें भोग लगाया गया। भोग के बाद भगवान अपने नियत समय पर शयन के लिए शयन कक्ष चले गए। संध्या में करीब 7:00 बजे भगवान का महा श्रृंगार किया गया। जिसके बाद स्थानीय पंडा समाज के लोगों, पंडितों एवं श्रद्धालुओं के द्वारा महा आरती की गई। महा आरती के बाद भगवान को ग्यारह परात पर महा भोग लगाया गया। महाभोग के बाद भगवान पुणः करीब 8:30 बजे रात में शयन को चले गए। रात्रि करीब 10:30 बजे विधि विधान के साथ उन्हें पंडितों द्वारा उठाया गया। जिसके बाद 




जन्मोत्सव की परंपरा का निर्वहन किया गया। देर रात्रि बंद पट खुलते ही उनके जन्म के जयकारों की बीच खीरे का डंठल काटकर जन्म नाभी काटे जाने का कार्यक्रम किया गया। गुरुवार की सुबह लोक उत्सव के रूप में दही कादो का उत्सव मनाया गया। मालूम हो कि, यहां की यह परंपरा काफी पुरानी है। जिसमें क्षेत्र के श्रद्धालुओं के साथ साथ झारखंड के सुदूरवर्ती इलाकों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। सिंहासन पर विराजमान भगवान मधुसूदन को जन्म के बाद रसोईघर के समीप श्रद्धालुओं के द्वारा दही से नहलाया जाता है। मधुसूदन मंदिर की इस अनोखी धार्मिक परंपरा में श्रद्धालु, भक्त, पंडा समाज के लोग एक दूसरे को दही का टीका भी लगाते हैं। सुबह में दही कादो उत्सव में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर में देखी गई। मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी थी। लोगों ने उत्साह पूर्वक दही कादो उत्सव को मनाया। इस दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान को दही से स्नान कराया और प्रसाद स्वरूप दही को अपने घर ले जाने का काम किया है मालूम हो कि यहां पर वृंदावन गोकुल के तर्ज पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की परंपरा काफी पुरानी है। बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्णा को दही अधिक प्रिय था। यही कारण है कि भगवान के मधुसूदन के इस स्वरूप को भी यहां दही चढ़ाया जाता है और उनका तिलक लगाया जाता है। इसी के साथ दही कादो उत्सव के साथ मधुसूदन मंदिर में दो दिवसीय जन्माष्टमी उत्सव का विधिवत समापन किया गया।

रौशन कुमार,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।

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Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

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