ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- जोहार कलमकार मंच द्वारा सोमवार शाम स्थानीय नेताजी नगर अवस्थित मदन निवास में हिंदी सप्ताह के तहत "विचार सह काव्य गोष्ठी" का आयोजन हुआ। गोष्ठी की अध्यक्षता मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिलाध्यक्ष सुरजीत झा ने की। पांच चरणों में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन उपस्थित साहित्यकारों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। वक्ताओं में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार विनय सौरभ, डॉ. मौसम ठाकुर, मंच के संरक्षक सह लोक मंच सचिव सर्वजीत झा "अंतेवासी", शिवकुमार भगत, राष्ट्रीय विभूति मंच सचिव राजेश झा, जीपी अबुल कलाम आज़ाद, सुरजीत झा, अधिवक्ता दिलीप तिवारी, मदन मोहन मिश्रा, डॉ. ब्रह्मदेव कुमार, विद्यापति सांस्कृतिक परिषद अध्यक्ष परमानंद चौधरी एवं सत्संग प्रचारक ओम प्रकाश मंडल ने हिन्दी को महिमामंडित करते हुए इसके अत्यधिक प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया। जबकि दूसरे चरण में आयोजित कवि गोष्ठी में शैलेंद्र प्रसाद ने "मेरी दोस्त मित्र सखा है हिंदी, सीने के हर परत में समेट रखा है हिन्दी" से जहां हिंदी के प्रति अपने प्रेम एवं समर्पण को अभिव्यक्त किया वहीं डॉ. ब्रह्मदेव कुमार की रचना "विश्व में हिंद की पहचान है हिंदी", डॉ. मनोज कुमार राही की "भाषाओं की महारानी हिंदी अपने भाग्य पर इठलाती है", मनीष सिंह की प्रस्तुति "हो रही अपने देश में ही हिन्दी की अपमान देखो", धनेश्वर पंडित की रचना "कहीं भक्त भगवंत तो कहीं शिष्य संत" ओमप्रकाश मंडल की अंगिका रचना "मंटा माय केकरा करै छौ एतना फोन, पाकिस्तान जाय के कि छौ तोरो मोन" तथा शशि कुमार मांझी की व्यवस्था पर चोट करती रचना "सियासत के ठेकेदारों ने बांटा है देश को" को श्रोताओं ने भरपूर सराहा। कार्यक्रम के तीसरे चरण में आयोजित सम्मान समारोह में हिंदी साहित्य जगत के प्रतिष्ठित सम्मान "बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान" के लिए चयनित कवि विनय सौरभ का मंच द्वारा सम्मान सर्वजीत झा "अंतेवासी" के हाथों अंगवस्त्र, पुष्पमाला एवं कलम - डायरी समर्पित कर किया गया। जबकि शब्द - सम्मान देते हुए शिवकुमार भगत ने अपने संबोधन में उक्त सम्मान की महत्ता को रेखांकित करते हुए युवा कवि व लेखक विनय सौरभ को हिंदी साहित्य का कालयात्री बताते हुए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे गए गोड्डा जिला के प्रथम कवि ज्ञानेंद्रपति के साहित्यिक विरासत का सर्वश्रेष्ठ उत्तराधिकारी बताया। श्री सौरभ ने अपने संबोधन में हिंदी के विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए इसके स्वर्णिम भविष्य की बातें की और मंच के प्रति आभार व्यक्त करते हुए साहित्य प्रेमियों से अपने मासिक कमाई में से बजट को देखते हुए एक हिस्सा किताबों को खरीदने में खर्च करने की अपील की और कहा की इस प्रकार से हम अपनी भाषा हिंदी के उत्तरोत्तर समृद्धि में अपना योगदान दे सकेंगे।
कार्यक्रम के पांचवें एवं अंतिम चरण में कवि ओमप्रकाश मंडल की सद्यः प्रकाशित पुस्तक "स्वामी प्रमोद: साधना - समर्पण" का लोकार्पण उपस्थित साहित्यकारों द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए स्थानीय महिला कॉलेज के हिंदी विभाग की प्रो. नूतन झा ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो यात्रा संस्मरण के अंश को सुनाते हुए कहा की हमें हर भाषा का सम्मान करना चाहिए। कार्यक्रम का समापन छः वर्षीया नुपुर नंदिनी झा द्वारा गाए राष्ट्रगान से हुआ। इस अवसर पर उपरोक्त साहित्यकारों के अलावा साहित्य प्रेमी अधिवक्ता उदयकांत शुक्ला, विनय कुमार ठाकुर, भारत - भारती के शिक्षक अनंत कुमार तिवारी, ज्योति चौधरी झा, आकाश कुमार, संतोष कुमार, भीषण मंडल, काली चरण यादव आदि उपस्थित थे।
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