ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बिहार। 13 अक्टूबर देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में सुमार कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं संस्कृत के प्रखर विद्वान प्रोफेसर देवनारायण झा ने कहा की पत्रकार, समाज का आईना है, आदर्श है और यह जितना बेहतर होगा समाज उतना ही स्वच्छ बनेगा। ख्यातिलब्ध पत्रकार एवं समाजसेवी स्वर्गीय राम गोविंद प्रसाद गुप्ता की 88वीं जयंती के अवसर पर शहर के दोनार चौक स्थित सागर फैमिली रेस्टोरेंट के सभागार में "समय का सत्य और पत्रकारिता की मर्यादाएँ" विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रोफेसर झा ने कहा कि सत्य को उजागर करनेवाले पत्रकारिता का पथ कांटों भरा है। इसी पथ पर चलकर पत्रकार समय के सत्य को मर्यादा के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने विषय-वस्तु की अक्षरसः व्याख्या कर बताया कि सत्य सदैव सत्य ही रहता है पर समय के प्रभाव से बस नजरिया बदल जाता है। उन्होंने कहा कि शासक के पास अपना नेत्र नहीं होता वो दूसरों के नेत्र से राष्ट्र को देखता है और पत्रकारिता समाज का चक्षु है जो वर्तमान यथार्थ को अपनी लेखनी से उजागर करता है। प्रोफेसर झा ने कहा कि मर्यादा का पालन आवश्यक है इसलिए सत्य की कटुता से परहेज वर्तमान दौर का यथार्थ बन गया है। इस स्थिति में पत्रकारिता की भूमिका महती हो गई है। पत्रकारिता के ऊपर समाज के आदर्श को यथावत बरकरार रखने के साथ ही सत्ता को निरंकुश बनने से रोकने की दोहरी जिम्मेदारी होती है। प्रोफेसर झा ने कहा कि पत्रकारों की भूमिका राजसत्ता पर अंकुश लगाने में है। उन्होंने पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहा कि लोकतंत्र को जीवित रखने में आप अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ बरकरार रखें। विपरीत परिस्थितियों में भी रहते हुए आप सत्य को सामने लाते हैं हम इसके लिए आपको शुभकामना देते हैं। जबकि संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि पत्रकारिता आज भी सत्य के साथ खड़ी है पर इसमें व्यावसायिकता का प्रवेश हो चुका है। जिसके कारण स्थिति में बदलाव आया है। वैसे पत्रकारिता का फलक बढ़ा है और जो खबर पहले चार दिन में सामने आती थी वो अब चंद मिनटों में दिख जाती हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारो को लेखनी कुंदता की ऒर न बढ़े इसका भी ख्याल रखना होगा। नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि सत्य का स्वरूप नहीं बदलता वो हर युग में एक समान रहता है। पत्रकारिता को सत्य का पहरेदार माना गया है और सत्य को उजागर करना ही पत्रकारिता धर्म है। उन्होंने कहा कि युग के अनुरूप पत्रकारिता में भी बदलाव आया है और यह आज उद्योग बन चुकी है। फिर भी इसकी विश्वसनीयता कायम है तो
इसका सबसे बड़ा कारण सत्य ही है। सत्य के कारण ही मीडिया का जनजुड़ाव बरकरार है। वैसे बाजारू प्रवृत्ति के कारण नकारात्मक पत्रकारिता का दौर बढ़ रहा है। सोशल मीडिया के इस दौर में बिना विश्लेषण के खबरों का प्रसारण हो रहा है।यूट्यूब चैनलों की बढ़ोतरी से अब खबर तुरंत मिल जाती हैं पर पहले आने की आपाधापी में सत्य से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य पीछे छूट रहे है। यह स्थिति स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक विद्यमान है। उन्होंने कहा कि मूलतः पत्रकारिता की प्रक्रिया ऐसी होती है जिसमें तथ्यों को समेटने, उनका विश्लेषण करने फिर उसके बाद उसकी अनुभूति कर दूसरों के लिए अभिव्यक्त करने का काम किया जाता है। वरिष्ठ रसायन शास्त्री एवं ललित में मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर रसायन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ० प्रेममोहन मिश्रा ने कहा कि भारत में आधुनिक पत्रकारिता का आगाज मिशन के साथ हुआ था। जो कालांतर में सत्ता सरंक्षक बनने के बाद अब विज्ञापन के कमीशन से बंध गई है। फिर भी पत्रकारिता से मर्यादा की अपेक्षा इसलिए हो रही क्योंकि यह आज भी सत्य का उद्धघाटन कर रहा है। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ राजनीतिक चिंतक प्रोफेसर अनिल कुमार झा ने कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नैतिक मूल्यों का छरण हुआ है पत्रकारिता भी इसे अछुती नहीं है। इस परिस्थिति में पत्रकारों का यह दायित्व है कि वे सत्य के साथ समझौता नहीं करें और चीजों का सही मूल्यांकन कर लोगों के सामने लाये। उनसे अपेक्षित भी है कि मानवीय मूल्यों के प्रति पत्रकारों को संवेदनशील होना चाहिए। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग एवं पत्रकारिता विषय के शिक्षक प्रो० आनंद प्रकाश गुप्ता ने कहा कि बाजार के प्रवेश से पत्रकारिता की गरिमा गिरी है और एक पक्षीय खबर का प्रकाशन बढ़ रहा है। पत्रकार रविभूषण चतुर्वेदी ने बताया कि जिस तरह से समय के साथ सत्य के निर्धारण का मापदंड बदला है वैसे ही पत्रकारिता की मर्यादा बदली है।शोशल मीडिया के प्रवेश से इस मर्यादा में विखंडन आरंभ हुआ है।जबकि वरिष्ठ पत्रकार गंगेश मिश्र ने कहा कि जनसंचार और पत्रकारिता के घालमेल से स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही हैं। वहीं पत्रकार विष्णु कुमार झा ने बताया कि तात्कालिक उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर ही पत्रकारिता सत्य को प्रगट करती है।जबकि नवीन सिंहा ने कहा कि सत्य को व्यक्त करने पर पहले भी पत्रकार उत्पीड़ित होते थे और आज भी यह दौर जारी है।जबकि अध्यक्षता करते हुए हिन्दी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और पत्रकार डॉ कृष्ण कुमार ने कहा कि सच्चा पत्रकार हमेशा पत्रकारिता की गरिमा का ख्याल रखता है। यह प्रवृत्ति आज भी बरकरार है। इससे पूर्व संगोष्ठी का आरंभ अतिथियों ने स्व० रामगोविंद प्रसाद गुप्ता की तस्वीर पर पुष्प अर्पण से किया। जबकि संगोष्ठी में विषय प्रवेश प्रो रामचंद्र सिंह चन्द्रेश ने कराया। उन्होंने कहा कि सत्य हमेशा सत्य होता है समय भले बदलता रहता है। अतिथियों का स्वागत पत्रकार प्रदीप गुप्ता एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रमोद गुप्ता ने किया। संगोष्ठी का संचालन डॉ० अनंत देव नारायण सिंह ने किया। संगोष्ठी को राजीव चौधरी ने भी संबोधित किया। इस दौरान समय के सत्य के तौर पर वक्ताओं ने दरभंगा एम्स को लेकर हो रही राजनीति पर भी चर्चा की। जिसकी वर्तमान स्थिति को स्पष्ट कर विधायक संजय सरावगी ने बताया कि एम्स दरभंगा में ही बनेगा।
कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ।
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