ग्राम समाचार,चांदन,बांका। नवरात्रि के अंतिम दिन सोमवार को नवमीं पर माता के मंदिरों में हवन व पूर्णाहूति की जाएगी। हवन में शामिल होने के लिए मांं के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी, वहीं सप्तमी और अष्टमी में मां के दर्शन और पूजन के लिए मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ रही। नवरात्रि के पहले दिन से ही चान्दन के दुर्गा मंदिरों में मां की अराधना की जा रही थी। हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना कर श्रद्धालु मनोकामना दीप प्रज्जवलित कर रहे हैं। मंदिरों में रोजाना भक्तों की भीड़ जुट रही है। इसके अलावा भक्त अपने-अपने घरों में भी कलश स्थापना कर दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं। सोमवार को हवन व पूर्णाहूति कर कलश विसर्जन किया जाएगा। कन्या पूजन, क्या है महत्व नवरात्रि व्रत रखने वाले श्रद्धालु घरों में कन्याओं को भोजन कराएंगे। नवरात्र पर श्रद्धालु उपवास रखते हैं और नवमी में कन्या भोजन करा अपना व्रत खोलते हैं। पंडितों का कहना है कि देवी के दर्शन करने और हवन करने के बाद कन्या पूजन का विशेष महत्व है। उन्होंने बताया कि कुंवारी कन्याएं देवी स्वरूप होती हैं। दो वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या पूजन का विधान है। कुंवारी कन्या पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या एवं तेज की प्राप्ति होती है। इससे विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश होता है। होम, जप
और दान से देवी जितनी प्रसन्न होती हैं, उससे ज्यादा कन्या पूजन से होती हैं। एवं विशेष फल प्राप्त करने के लिए कन्या पूजन किया जाता है। सिद्धिदात्री की अराधना नवमी को मां के सिद्धिदात्री रूप की पूजा की जाएगी। देवी के इस रूप की अराधना करने से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मां की सच्चे मन से उपासना करने पर कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से हो जाते हैं, साथ ही लौकिक और परलौकिक मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पंडित लालमोहन पांडेय ने बताया कि भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से ही तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं। इसी देवी की कृपा से ही शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था, और वे अर्धनारेश्वर कहलाए। सिद्धिदात्री देवी का वाहन सिंह है और वे कमल पुष्प पर भी आसीन होतीं हैं।बतादें श्री श्री 108 दुर्गामंदिर जमींदार उदित नारायण टिकैत के पुर्वजों द्वारा पुत्र प्राप्ति की कामना को लेकर स्थापना किया गया था। यहां माता दुर्गा की पुजा बंगला पद्धति से कि जाती है। वही मंदिर के आचार्य बताते हैं यहां पहले माता को खुश करने के लिए नर बली दिया जाता था। लेकिन अब यहां अष्टमी एवं नवमी तिथी को लगभग हजारों की बकरे की बली देकर माता कि पुजा करते हैं। अष्टमी तिथि से लेकर दशमी तिथि तक प्रखंड क्षेत्र के दर्जनो गांव के श्रद्धालू पूजा के लिए पहुचते हैं। मान्यता है कि जो श्रद्धालु सच्चे मन से पुजा करने आते हैं माता उनकी मनोकामना पुरी करते है। वहीं इस मंदिर में दुर्गा पुजा समिति सदस्य के सौजन्य से भीड़भाड़ नियंत्रण के तत्पर रहते हैं साथ ही साथ चांदन थाना पुलिस का भरपुर सहयोग प्रदान होता है।मौके पर पुजा समिति के अध्यक्ष बिक्रम दुबे उपाध्यक्ष नीरज सिंहा,कोषाध्यक्ष राजकपूर पांडेय,सचिव अशोक शर्मा,पूजक उपेंद्र पांडेय,आचार्य लालमोहन पांडेय केदार पांडेय आदि मौजूद थे।
उमाकांत साह,ग्राम समाचार संवाददाता,चांदन।
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