हरियाणा के सरकारी स्कूलों में बच्चों में भाषा एवं संस्कार विकसित करने के लिए बाल रामलीला का मंचन कराया गया। रेवाड़ी के गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल नंबर एक के नन्हे मुन्ने बच्चों ने रामलीला के पात्रों की भूमिका निभाई।
हरियाणा के सरकारी स्कूल बच्चों में भाषा के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों में 16 अक्टूबर को रामलीला का आयोजन किया गया। रेवाड़ी के प्राइमरी स्कूलों में भी शिक्षा विभाग की ओर से रामलीला कराने के निर्देश दिए गए थे। उसी के तहत गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल नंबर 1 में बच्चों की ओर से बाल रामलीला का मंचन किया गया। इस कार्यक्रम को लेकर पिछले 10 दिनों से स्कूल में रिहर्सल चल रही थी विद्यालय की स्टाफ की ओर से भी बच्चों को मेहनत कराई गई।
स्कूली बच्चों की हिंदी भाषा पर पकड़ मजबूत करने के लिए राज्य सरकार ने एक अनूठी पहल की है। राज्य के 8400 स्कूलों को निर्देश दिया गया था कि वह 5 से 15 अक्टूबर के बीच बच्चों को रामलीला का अभ्यास करवाएं। इस प्रक्रिया में राज्य के करीब 11 लाख बच्चे शामिल हुए। इसके बाद आज 16 अक्टूबर को हर स्कूल में बाल रामलीला और निपुण मेले का आयोजन किया गया। इस दौरान बाल रामलीला की प्रस्तुति दी गई। नन्हे मुन्ने बच्चों ने रामलीला के किरदार में रोल निभाया। प्राइमरी स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चों ने राम, लक्ष्मण, हनुमान, रावण, मेघनाद आदि महत्वपूर्ण रोल अदा किए। शिक्षा विभाग की ओर से इस विषय पर बच्चों के माता-पिता को भी शामिल किया गया।
इस पूरे आयोजन के लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि यह पूरा कार्यक्रम बुनियादी साक्षरता और ज्ञान को समर्पित रहेगा। विभाग ने कहा है कि इस तरह के ड्रामा करने से बच्चों में भाषा का विकास होता है। बाल रामायण से बच्चों में संवाद बोलना, पढ़ना, लिखना सभी बच्चों के उच्चारण को बेहतर करता है।
विभाग ने कहा था कि पिछले साल भी इसी तरह का आयोजन किया गया था जिसके बाद बहुत सकारात्मक प्रभाव देखे गए थे। NCERT में कक्षा 6 की हिंदी की पुस्तक बाल राम कथा है। इसी का अक्टूबर में स्कूल स्तर पर मंचन करवाया गया। इसका उद्देश्य है कि छोटी क्लास में पढ़ने वाले बच्चों के बीच हिंदी विषय के प्रति रुचि और समझ विकसित हो सके। छात्रों को मंचन के लिए किसी तरह की यूनिफॉर्म नहीं लेनी बल्कि स्थानीय स्तर पर स्कूल की ओर से ही वेशभूषा और सामग्री उपलब्ध कराई गई।
दरअसल हरियाणा सरकार द्वारा संचालित प्राइमरी स्कूलों में रामलीला के माध्यम से बच्चों को अपनी कला और संस्कृति से जोड़कर संस्कारी बनाने के उदेशय से सिर्फ जोड़ा ही नहीं, बल्कि राम लीला के संवाद से उनकी भाषा में सुधार कर बल्कि भाषाई स्तर पर निपुण कैसे बनाया जाए किसी को लेकर बाल रामलीला की शुरुआत की गई है। इसके लिए स्कूलों में रामलीला 05 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक रिहर्सल कराई गई और आज 16 अक्टूबर को स्कूलों में रामलीला कराई गई।
रामलीला के माध्यम से अभिभावको ने अपने बच्चों को अपनी कला एवं संस्कृति में निपुण होता देखा। विद्यालय की सेवानिवृत्त मुख्य अध्यापिका सपना जैन ने कहा कि उन्होंने अपनी 24 साल की सेवा में स्कूलों में इस तरह का आयोजन पहली बार देखा है उन्होंने सरकार और शिक्षा विभाग की इस पहल की सराहना की। इस अवसर पर हेड शिक्षक राम कीरत, शिक्षक सुरेंद्र भारद्वाज, शिक्षक ईश्वर, नरेश कुमार, भूपेंद्र, मैडम डेजी व जग्गी सहित विद्यालय का स्टाफ और अभिभावक गण मौजूद रहे।
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