Bihar News: अपनी राह और मंजिल खुद तलाशती रही हैं ममता मेहरोत्रा

ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बिहार। साहित्य जगत में राष्ट्रीय स्तर पर ममता मेहरोत्रा एक स्थापित नाम है। बहमुखी प्रतिभा की धनी ममता मेहरोत्रा ने शिक्षा और साहित्य के साथ ही सामाज सेवा के क्षेत्र में  अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है। नवाबों के शहर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मी ममता मेहरोत्रा प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के सुप्रसिद्ध लरुटो कॉन्वेंट से की। ममता मेहरोत्रा को पढ़ाई-लिखाई में काफी रूचि थी। ममता मेहरोत्रा के पिता प्रेम नाथ खन्ना और मां मीना खन्ना घर की बड़ी बेटी को अपनी राह खुद चुनने की आजादी दी थी। ममता मेहरोत्रा उन गिने चुने चंद छात्रों  में शामिल हैं, जिन्हें उन दिनों आईसीएससी बोर्ड में हिंदी साहित्य में 90 प्रतिशत नंबर मिला था। उसके बाद उन्होंने आईटी कॉलेज से साइंस में ग्रेजुएशन किया। ममता मेहरोत्रा उन दिनों अधिवक्ता, डांसर या लेक्चरार बनना चाहती थीं। ममता मेहरोत्रा ने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद में कुमकुम श्रीवास्तव से कत्थक का चार वर्षीय कोर्स पूरा किया। वर्ष 1991 में ममता मेहरोत्रा की शादी बिहार कैडर के आईएस आफिसर बज्रेश मेहरोत्रा के साथ हुई, जिसके बाद वह बिहार आ गयी। ममता मेहरोत्रा अपने पति के साथ तत्कालीन बिहार अब झारखंड के साहेबगंज जिले में चली गयीं।शादी के बाद ममता मेहरोत्रा के जीवन में ठहराव सा आ गया। शादी के बाद जल्द ही ममता मेहरोत्रा मां भी बनी और वह अपने बच्चों के परवरिश में जुट गयीं। साहेबगंज के बाद ममता मेहरोत्रा गया, बेतिया, छपरा, मुजफ्फरपुर, लोहरदग्गा, चाईंबासा, जमशेदपुर, पटना कई जगहों पर पति के ट्रांसफर की वजह से घूमती रही। इस दौरान ममता मेहरोत्रा की पढाई-लिखाई भी रूक सी गयी। लेकिन उनकी सक्रियता बनी रहीं। और ममता मेहरोत्रा वर्ष 1993 से सामाजिक क्षेत्र में काम करने लगीं।।ममता मेहरोत्रा के दो बच्चे जब कुछ बड़े हुये तब उनहोंने एक बार फिर से पढ़ाई शुरू कर दिया  और में 1997 में  जूलॉजी में पीजी किया। साथ में सामाजिक 



कार्य भी करती रहीं। वर्ष 2002 में ममता मेहरोत्रा ने महिला के साथ घरेलू हिंसा पर काफी काम किया । इनके पास आने वाली पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ने लगी। जब इस तरह के केस ज्यादा आने लगे तो वह अपनी इस समाजसेवा को सिस्टेमाइज्ड करने के लिए सूर्या महिला कोषांग नाम से एक वूमेन हेल्प लाइन की शुरुआत की। तब गया में शुरु यह हेल्पलाइन भारत की पहली वूमेन हेल्प लाइन थी। ममता मेहरोत्रा ने बताती हैं कि उन्होंने इस हेल्पलाइन से जुड़कर कम से कम 1000 घरेलू हिंसा के मामलों को सहजता पूर्वक सुलझाया है। इसके लिये ममता मेहरोत्रा ने काफी शोध किया और केस के संबंध में रेड लाइट एरिया तक गईं। ममता मेहरोत्रा की लिखी पहली पुस्तक (कहानी संग्रह) 2005 में प्रकाशित की गयी। इसके बाद ममता मेहरोत्रा अबतक लगभग 60 किताबें लिख चुकी हैं।कहानी और कविताओं के संग्रह के साथ गीता प्रश्नोतरी, एकेडमिकि पुस्तकें महिला अधिकार पर और  विविध सामाजिक विषयों पर हिन्दी और अंग्रेजी में ये पुस्तकें लगातार लिख रहीं हैं। इसके अतिरिक्त वो 13  नाटक भी लिख चुकी हैं जो विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगातार बिहार में मंचित होते रहते हैं। इनका नाट्य संकलन भी जल्द ही प्रकाशित होने जा रहा है। ममता मेहरोत्रा पर एक बायोग्राफी भी प्रकाशित की जा चुकी है। ममता मेहरोत्रा सामयिक परिवेश नाम की एक साहित्यिक संस्था भी चलाती हैं। इसके तहत सामयिक परिवेश के नाम से ही एक अर्द्ध वार्षिक पत्रिका प्रकाशित होती है, जिसके प्रधान संपादक का कार्य वो खुद देखती हैं। साथ ही इस संस्था से लगातार साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधिया इनकी अगुवाई में संचालित  होती रहती हैं। ममता मेहरोत्रा ने  कक्षा 1 से 9 तक के विद्यार्थियों के लिए पाठ्य पुस्तकें भी लिखी हैं। उनकी लिंग-भेद पर हिन्दी व अंग्रेजी में कई पुस्तकें छप चुकी हैं। ममता मेहरोत्रा कादाम्बनी क्लब और बाद में सामायिक परिवेश समेत कई सामाजिक संसथाओं से जुड़कर काम किया। वर्ष 2017 में ममता मेहरोत्रा राजधानी पटना के प्रतिष्ठित स्कूल डीपीएस की प्रिसिंपल बनी। इससे पूर्व ममता मेहरोत्रा डीएवी के कई ब्रांच में बतौर प्रिसिंपल रह चुकी थी। ममता मेहरोत्रा का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस’ में भी दर्ज किया गया है। उनकी किताब ‘माटी का घर’ जिस पर आठ भाषाओं में समीक्षात्मक विश्लेषण की किताब प्रकाशित हुई है,उसके लिए उन्हें यह उपलब्धि मिली है। यह किताब ‘माटी का घर’ की शोधात्मक समीक्षा के नाम से है। इसपर शोध समीक्षा कुमार ने की है। हिंदी, संस्कृत, भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका, वज्जिका, और अंग्रेजी में शोध समीक्षा प्रकाशित हुई है। ममता मेहरोत्रा यौन अपराधों से बालकों को संरक्षण अधिनियम-2012’ के तहत भी लगातार काम कर रही है।

कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ।

Share on Google Plus

Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

ग्राम समाचार से आप सीधे जुड़ सकते हैं-
Whatsaap Number -8800256688
E-mail - gramsamachar@gmail.com

* ग्राम समाचार से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें

* ग्राम समाचार के "खबर से असर तक" के राष्ट्र निर्माण अभियान में सहयोग करें। ग्राम समाचार एक गैर-लाभकारी संगठन है, हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें।
- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें