ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। मान्यता के आधार पर कुछ लोग कहते हैं कि सीता माता ने ऐतिहासिक मंदार पर्वत के सीताकुंड पर 'छठ व्रत' किया था। किन्तु इसका कोई सक्षय उपलब्ध नहीं है। इस आशय के भ्रांति फैलाने वाले समाचार आजकल बहुत जगह देखने को मिल रहे हैं कि वनवास के समय राम व लक्ष्मण के साथ सीता मंदार पर्वत पर भी आईं थी। इतिहासकार इस बारे में बताते हैं कि राम जब पिता अयोध्यापति दशरथ की आज्ञा लेकर वन में गए तब उनके यात्रा पथ में 'मंदार' नहीं था। वे जिस पथ से गुजरे उनमें उत्तरप्रदेश के विभिन्न स्थानों से होते हुए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु - रामेश्वरम् के धनुषकोटि होते हुए लंका था। अब इस पावन यात्रा पथ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विद्वानों द्वारा मान्यता भी मिल चुकी है। बड़ी बात कि यह यात्रा पथ ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखित 'रामायण' में बताए गए यात्रावृत्तांत के आधार पर तैयार किया गया है। कहते हैं कि इसी रामायण के आधार पर अन्य राम कथाएं विभिन्न कालों में लिखी गई हैं। इससे पहले हनुमान जी द्वारा विशाल शिला पर एक रामायण लिखे जाने की सूचना मिलती है। यह शिला स्वयं हनुमान ने समुद्र में फेंक दी थी, जिसकी
चर्चा वहीं समाप्त हो जाती है। इतिहासकार बताते है कि रामायण के आधार पर लिखे गए अन्य ग्रंथों में भी वनवास के दौरान बिहार या मंदराचल पर्वत पर आने की चर्चा नहीं है। यह कपोल-कल्पना के अलावा कुछ नहीं हो सकता है। उपलब्ध साहित्य के आधार पर ये बताते हैं कि राम के समय में सूर्य पूजा का प्रचलन था, छठ पूजा का नहीं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि सीता द्वारा मंदार पर्वत के सीता कुंड पर छठ किए जाने की खबर ऐतिहासिक स्रोतों से अपुष्ट है। वैसे, इस सरोवर का आधुनिक नाम सीताकुंड है। इससे पहले इसे 'चक्रावत' कुंड कहे जाने का प्रचलन था इसकी जानकारी पुराणों और महात्म्य में मिलती है। यहां यह गौर करने वाली बात है कि तीन युग त्रेता, द्वापर और कलि में से सबसे पहले त्रेता है। राम इसी कालखंड में हुए। अगर सीता राम के साथ यहां त्रेता युग में आए तो इसका नाम पहले से ही 'सीताकुंड' होता, चक्रावर्त नहीं। इतिहासकार बताते हैं कि सीताकुंड नाम से संपूर्ण भारत बहुत सारे और बांग्लादेश में एक तीर्थ हैं। मुंगेर, मोतिहारी के अलावे उत्तर प्रदेश के विंध्याचल तथा सुल्तानपुर, बांग्लादेश के चटगांव के अतिरिक्त पूरे भारत में हैं। इसकी सूची लंबी है। सभी सीतार्कुड सीता के कर्मकांडों से ही जुड़े नहीं हैं। अतएव, यह कह देना कि मंदार के ऊपर स्थित सीताकुंड में सीता माता ने छठ किया था क्षेपक ही है जो सत्य इतिहास को दूषित करता है। इसी तरह मंदार पर स्थित गया कुंड नामक एक सरोवर हुआ करता था जिसकी चर्चा मिलती है कि राम ने यहां अपने पिता की मृत्यु की खबर पाकर श्राद्धकर्म किया था। यह भी लोक प्रचारित तथ्य ही है जिसकी पुष्टि कोई धर्मशास्त्र नहीं करते हैं।
कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।
इतिहासकार का नाम क्या है चंदन जी?
जवाब देंहटाएंइस ग्राम समाचार के संपादक/मालिक भी यह बताने की कृपा करें कि इस समाचार को लिखे जाने का स्रोत क्या है? किसने बताया?