Bounsi News: वैदिक काल से होती रही है मंदार में सूर्य की पूजा

ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। ऐतिहासिक मंदार पर्वत के नीचे सूर्य की पूजा के प्रमाण वैदिक युग से मिलते हैं। सूर्य वैदिक देवता माने गए हैं। इनकी पूजा डोरा और छठ के नाम से भी इस प्राचीन अंग प्रदेश क्षेत्र में भी व्याप्त है। छठ को सूर्य के पूजन का पर्व माना जाता है। यह भी माना जाता है कि सूर्य की बहन षष्ठी को ही छठी मैया के नाम से जाना जाता है और इनकी पूजा भी इस 'छठ पूजा' में सूर्य को साथी रखकर किए जाने का विधान है। मंदार पर्वत के समीप स्थित 'नगाड़ा पोखर' के नाम से प्रसिद्ध तड़ाग पहले सूर्य पूजन हेतु प्रयोग में लाया जाता था। इतिहासकार बताते है कि इस बात के पुरातात्विक प्रमाण मिलते हैं। वर्गाकार इस सरोवर में पश्चिम और दक्षिण की ओर पत्थर की सीढ़ियाँ इस बात का प्रमाण देती है कि पूरब, उत्तर और पश्चिम दिशा में सूर्य- वरुण व अन्य देवताओं को अर्घ्य दिए जाते थे। ये वैदिक देवताएँ हैं। अगर यहां गैर-वैदिक परंपरा के लोग रहते तो ये सीढ़ियां इस सरोवर में चारों ओर होती। इतिहासकार बताते हैं कि यहां के इस सरोवर के बीच में पत्थर का एक स्तंभ है जिसे 'लाट' कहे जाने 


की परंपरा है। यह स्तंभ 7 खंड में विभिन्न शिल्पों से मिलकर बना है, जो सूर्य के रथ में लगे 7 घोड़ों का प्रतिनिधित्व करता है। इतिहासकार बताते है कि इस सरोवर में और इसके आसपास कई विशाल- विशाल आमलक पड़े हुए हैं। जिसके ऊपर अब पेड़ उग गए हैं। ये इस बात के प्रमाण हैं कि वहां कुछ मंदिर बनाने की संकल्पना भी राजा की थी जिसे पूरा नहीं किया जा सका। मंदार के इस सरोवर के निकट से सूर्य की प्रतिमा भी मिली थी इसका अभिलेखीय रिकॉर्ड तो मिलता है मगर अब यह कहाँ है; इसका पता नहीं चलता। बड़ी बात यह है कि यहां से सूर्य की तीन मूर्तियां मिली थीं मगर सभी गायब हैं। पापहरणी सरोवर के पास 'गंगा' की एक मूर्ति देखे जाने की सूचना भी मिलती है। इसका अर्थ है कि मंदार में वैदिक काल में वैदिक देवताओं का पूजन होता है। इतिहासकार बताते हैं कि काले मृदभांड भी मंदार के नीचे बहुतायत में मिलते हैं। ये मृदभांड मिट्टी के वे पकाए गए बर्तन है जिसका रंग काला है। ये बर्तन वैदिक काल के माने जाते हैं। अतएव कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता है कि मंदार में वैदिक सभ्यता नहीं थी। काले मृदभांड के अलावे काले व चित्रित पॉलिश किए गए, घूसर, धूसर व चित्रित व लाल रंग के भी मृदभांड बहुतायत में मिलते हैं। अस्तु, यह कहना युक्तिसंगत प्रतीत होता है कि सूर्य पूजा की परंपरा मंदार क्षेत्र में अति प्राचीन है।

कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।

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Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

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