उमाकांत साह,संवाददाता,चांदन। |
ग्राम समाचार,चांदन,बांका। कार्तिक मास शुरू होते ही हिंदू धर्म वालियों कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष लेकर शुक्लपक्ष तक त्योहार ही त्योहार करने का अवसर प्राप्त हो जाती है जैसे महिलाओ के लिए करवाचौथ,उसके बाद दिपावली, गोवर्धन पुजा,भाई बहन का पर्व भैया दुज,छठ पर्व,पति की लम्बी आयु के लिए आंवला पूजन,और देवताओं को जगाने के लिए देवउठान पूजन जो हर स्तियां बड़े ही भावपूर्ण तरीके से श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। बतादें की इस बार देवउठानी एकादशी गुरुवार 23 नवंबर को हो रही है इस दिन भगवान बिष्णू का पूजन होती है इसलिए महिलाओ को दोनों व्रत करने का अवसर प्राप्त हुआ है। जिसे लेकर महिलाए देवउठान एकादशी के पूजन सामाग्री की खरीदारी में जुट गई है। मान्यता है की देवउठान एकादशी व्रत करने से परिवार का सुख समृद्धि प्राप्त होती है। ए देवउठान एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आती है। माना जाता है कि इस दिन श्रीहरि विष्णु देव पांच माह के बाद शयनकाल से जागते हैं।उनके उठने के बाद सभी मांगलिक कार्य शुरु हो जाते हैं। इसी दिन के मध्य रात्रि को शालिग्राम जी और माता तुलसी की विवाह होती है।जो आज के दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे मनाने के लिए हर प्रांतो में अलग अलग तरीक़े से मनाते हैं।कुछ प्रांतों में घर के दीवार पर भगवान की तस्वीर बना कर उनके सामने पुरी विधि-विधान से थाली या सूप बजाकर और गीत-संगीत गाकर देवताओ को जगाते हैं। कहते हैं कि "उठो देव बैठो देव अंगुलियां चटकाओ देव" मान्यता है कि थाली और सूप बजाने से घर में सुख शांति बनी रहती है और मनोकामना पूर्ण होती है।
उमाकांत साह,ग्राम समाचार संवाददाता,चांदन।
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